वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गाँधी को समझाया ‘राइट ऑफ’ और ‘वेव ऑफ’ का फर्क

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  • वित्त मंत्री ने राहुल गाँधी को लोन राइट ऑफ करने और माफ़ करने के बीच का अंतर समझाया। कहा-‘राइट ऑफ’ का मतलब ‘वेव ऑफ’ नहीं होता।
  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने राहुल को समझाया कि लोन ‘राइट ऑफ’ किए जाने के बाद भी उधार लेने वाले से वसूली की कोशिश जारी रहती है।

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मेहुल चौकसी सहित कई अन्य लोगों का लोन ‘राइट ऑफ’ किए जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा फैलाए गए प्रोपेगेंडा का एक के बाद एक ट्वीट कर जवाब दिया। वित्त मंत्री ने राहुल गाँधी को लोन राइट ऑफ करने और माफ़ करने के बीच का अंतर समझाया।

उन्होंने विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी तक की बात करते हुए जानकारी दी कि अब तक उनके ख़िलाफ़ मोदी सरकार ने क्या-क्या क़दम उठाए हैं।

उन्होंने राहुल गाँधी और कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण की सलाह देते हुए पूछा कि आखिर वो इस पूरे मामले को सनसनीखेज बनाते हुए सन्दर्भ से अलग हट कर क्यों पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने जनता को गुमराह करने का बेशर्मी भरा प्रयास किया है। उन्होंने यूपीए काल को याद करते हुए बताया कि 2009-10 और 2013-15 के बीच बैंकों ने 1,44,526 करोड़ रुपए का कर्ज ‘राइट ऑफ’ किया था।

निर्मला सीतारमण ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से पूछा कि क्या उन्होंने ‘राइट ऑफ’ के बारे में ट्वीट करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मशविरा किया? सीतारमण ने बताया कि एनपीए के लिए आरबीआई के कुछ नियम हैं, जिसके तहत 4 साल का चक्र तय किया जाता है। ये पूरा हो जाने के बाद ही बैंक उसे ‘राइट ऑफ’ में डाल देता है, जिसे ‘वेव ऑफ’ नहीं कहा जा सकता।

सीतारमण ने बताया कि किसी प्रकार का लोन माफ़ नहीं किया गया है, बल्कि बट्टे खाते में डाला गया है, जिसे ‘राइट ऑफ’ कहते हैं। जहाँ तक मेहुल चौकसी की बात है, वित्त मंत्री ने बताया कि उसकी 1,936 करोड़ रुपए की संपत्ति को अब तक अटैच किया जा चुका है। अब तक 597.75 करोड़ रुपए की संपत्ति सीज की जा चुकी है। साथ ही उसके ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी की जा चुकी है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने राहुल को समझाया कि लोन ‘राइट ऑफ’ किए जाने के बाद भी उधार लेने वाले से वसूली की कोशिश जारी रहती है।

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