वाराणसी : बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर काफी विवाद हुआ था, लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) उन्हें लेकर नया ही प्लान ही तैयार किया है। आरएसएस डॉ. फिरोज के जरिये मुस्लिमों के बीच संस्कृत की पैठ बनाएगा। संस्कृत भाषा को हिन्दू धर्म के साथ ही अन्य वर्गों में सर्वमान्य बनाने के लिए संघ डॉ. फिरोज के नाम पर देशभर में अभियान चलाया जाएगा।
इसके साथ ही, आरएसएस बीएचयू के बाइलाज, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय और महामना मदन मोहन मालवीय के संकल्प पत्र का भी अध्ययन करेगा। बीएचयू में हुई इस नियुक्ति पर भी संघ अपना विचार रखेगा। इसके अलावा संघ और काशी विद्वत परिषद के बीच भी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तय की गई।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठनों की गतिविधियों का केंद्र काशी बनी हुई है। संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी और सह सर कार्यवाह डॉ कृष्णगोपाल की मौजूदगी में बुधवार को बैठकों का दौर जारी रहा। काशी विद्वत परिषद के बीएचयू में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति के मामले पर भी चर्चा हुई।
इसमें संघ ने समाधान के प्रयास और विवाद के पटाक्षेप पर अपने विचार रखे। संघ की ओर से कहा गया कि यह तो बहुत अच्छी बात है कि देश का मुस्लिम समाज संस्कृत भाषा के प्रति रुचि ले रहा है। संघ की ओर से सबका साथ, सबका विकास की नीति को अच्छा बताया गया और इसी नीति से परम वैभव के मार्ग को प्रशस्त करने की बात कही गई। यहां बता दें कि मंगलवार रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ समन्वय बैठक के बाद बुधवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और काशी विद्वत परिषद के साथ मैराथन बैठक हुई।
आरएसएस के पदाधिकारियों की काशी विद्वत परिषद के साथ बुधवार शाम बैठक में भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर लंबी चर्चा हुई। करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में संघ ने विद्वत परिषद से अपील की कि अयोध्या में शास्त्रीय पद्धति से मंदिर निर्माण और धार्मिक नीति निर्धारण में सरकार का मार्गदर्शन करे।
बैठक में कहा गया कि काशी विद्वत परिषद देश की महत्वपूर्ण संस्था है, जो हिन्दू संस्कृति के महत्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में राम मंदिर के अलावा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण तथा हिन्दू संस्कृति के संरक्षण आदि में परिषद की मुख्य भूमिका होनी चाहिए। बैठक में विद्वत परिषद के अध्यक्ष रामयत्न शुक्ल, प्रोफेसर राम किशोर, वशिष्ठ त्रिपाठी, हृदयरंजन शर्मा, दिनेश गर्ग, रामनारायण समेत दर्जनभर विद्वान शामिल रहे।