सड़क के पांच बड़े प्रोजेक्टों को हरी झंडी का इंतजार, केंद्र में विचाराधीन हैं प्रस्ताव

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उत्तराखंड सरकार चुनावी साल में रोड कनेक्टिविटी के पांच नए प्रोजेक्टों को हरी झंडी मिलने की राह देख रही है। ये सभी प्रस्ताव केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पास विचाराधीन हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इन प्रस्तावों पर मंजूरी के लिए केंद्र से पैरवी कर चुके हैं। चुनावी साल में राज्य सरकार केंद्र से इन प्रस्तावों की सौगात मिलने की उम्मीद कर रही है। मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत और उनके बाद पुष्कर सिंह धामी इन प्रस्तावों पर मंजूरी कराने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। धामी दो बार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी से सड़क परियोजनाओं से जुड़े प्रस्तावों को उठा चुके हैं।

पांच महत्वाकांक्षी परियोजनाएं
प्रस्तावित प्रोजेक्ट    अनुमानित लागत (करोड़ में)
देहरादून आउटर रिंग रोड  2500
हल्द्वानी आउटर रिंग रोड  2,000
ऋषिकेश भानियावाल फोर लेन 1000
नंदा की चौकी से मसूरी बाइपास -लागत तय नहीं
देहरादून से टिहरी टनल -7,000-8000

आउटर रिंग रोड से कम होगा ट्रैफिक दबाव
परिवहन के लगातार बढ़ते दबाव को कम करने के मकसद से आउटर रिंग रोड का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस परियोजना से शहर के भीतर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। इसी तरह हल्द्वानी रिंग रोड से भी ट्रैफिक के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।

ऋषिकेश से भानियावाल फोर लेन
ऋषिकेश से भानियावाला फोर लेन के बनने से देहरादून चारधाम ऑलवेदर रोड से फोर लेन से जुड़ जाएगा। इस प्रोजेक्ट के बनने से राजधानी से एयरपोर्ट पहुंचने में सुविधा होगी और समय की बचत होगी।

नंदा की चौकी से मसूरी बाइपास
नंदा की चौकी से मसूरी बाइपास बनने से पहाड़ों की रानी के लिए एक वैकल्पिक मार्ग मिल सकेगा। इससे पर्यटन सीजन के दौरान मसूरी में ट्रैफिक के दबाव को कम करने में सुविधा होगी। साथ नए मार्ग से पर्यटन के नई संभावनाएं खुलेंगी।

देहरादून से टिहरी टनल
देहरादून के राजपुर इलाके से टिहरी जिले तक टनल बनाए जाने का प्रस्ताव भी प्रदेश सरकार ने केंद्र को भेजा है। सरकार चाहती है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इस परियोजना का निर्माण कराए। जानकारों का मानना है कि टनल के निर्माण से टिहरी और देहरादून के बीच का सफर जहां आधे से भी कम रह जाएगा, वहीं टिहरी झील की वजह से पर्यटन की संभावनाएं अत्यधिक बढ़ जाएंगी। सामरिक महत्व की दृष्टि से भी टनल काफी उपयोगी साबित हो सकती है।

राज्य सरकार के स्तर पर भी देहरादून व हरिद्वार बाइपास पर काम शुरू किया गया है। एनएचआई हरिद्वार बाइपास पर काम कर रहा है। उसने देहरादून बाइपास के 100 किमी के हिस्से में 12 किमी पर काम किया है। बाकी के हिस्से पर कंसलटेंसी का काम हो रहा है। जब तक केंद्र में प्रस्ताव पर मंजूरी मिलती है तब तक राज्य सेक्टर से भी कनेक्टिविटी की योजना पर काम हो रहे हैं।
– आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव, लोनिलिव

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