चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नई कैबिनेट के गठन से पहले पुरानी कैबिनेट की बैठक बुलाई है। आज 11 बजे सीएम आवास में सभी पुराने मंत्री रह चुके चेहरे एकत्रित होंगे। गठबंधन सरकार में अकेले चलना सहज नहीं होगा।ऐसे में पुराने धुरंधरों को साथ लेकर चलना होगा, भले ही वे चुनाव हार चुके हैं। इस तरह का संदेश आलाकमान ने भी दिया है। सीएम बीते कल ही अमित शाह से मिलकर चंडीगढ़ लौटे हैं।
शाह के मशविरे के बाद आज पुरानी कैबिनेट अपनी राय देगी। जिसमें सभी अपनी अपनी बात कहेंगे। इस दौरान हार के कारणों की समीक्षा के साथ-साथ मंत्री विधानसभा चुनाव में क्षेत्र में हुई हार का कारण भी पेश करेंगे।
ऐसे में कुछ मंत्रियों की यह भी चाहत है कि जहां से जेजेपी प्रत्याशी चुनाव जीते हैं, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाए। इस राय पर सरकार कितनी सहज होगी यह देखना होगा।
पिछले कार्यकाल में बहुमत की सरकार होने के कारण बिना किसी अवरोध के गाड़ी दौड़ रही थी, लेकिन अब गठबंधन की सरकार है। गठबंधन में दुष्यंत चौटाला को साथ लेकर चलना होगा। सरकार की ओर से लिए जाने वाले फैसलो में दुष्यंत की राय भी होनी जरूरी होगी। चुनाव से पहले दुष्यंत जिन बातों का विरोध करते थे, उन बातों पर अब कितने सहज होंगे यह भी देखना होगा। सूत्रों के मुताबिक सुभाष बराला और कैप्टन अभिमन्यु की यह मंशा है कि उनके क्षेत्र से जीते जजपा प्रत्याशियों को मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाए। जबकि ओम प्रकाश धनखड़ के क्षेत्र से कांग्रेस जीती है।
भविष्य की कैबिनेट पर भी होगा मंथन
पुरानी कैबिनेट भविष्य की कैबिनेट कैसी हो इस पर भी मंथन करेगी। वित्त मंत्रालय से लेकर बिजली, ट्रांसपोर्ट, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल जैसे महत्वूपूर्ण मंत्रालय किस अनुभवी को दिए जाएं इस पर भी मंथन होगा। पूर्व मंत्रियों को साथ लेकर चलने की कवायद में उनके लिए दोपहर के भोज का भी आयोजन किया गया है।
विपुल और राव पर रहेगी नजर
पुरानी कैबिनेट में शामिल रहे विपुल गोयल और राव नरबीर सिंह इस बैठक में आएंगे या नहीं इस पर सभी की नजर रहेगी। यह दोनों मंत्री ऐसे हैं जिनका टिकट वर्तमान सरकार में काट दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक विपुल के बैठक में पहुंचने की पुष्टि हो गई है। बहरहाल इस विधानसभा चुनाव में आठ मंत्री हार गए हैं। जबकि दो को ही जीत का सेहरा नसीब हुआ। जिसमें अनिल विज और बनवारी लाल शामिल हैं।
मुंह फुलाए बैठे थे अनिल विज
नई सरकार के गठन के बाद से पूर्व मंत्री अनिल विज कुछ ज्यादा नहीं कह रहे हैं। मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले विज भले ही कुछ न कह रहे हों लेकिन उनका वरिष्ठता क्रम बहुत कुछ कह रहा है। ऐसे में बात-बात पर ट्वीट करने वाले विज ने पिछले दिनों साफ किया है कि उनकी कोई डिमांड नहीं है।