दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अयोध्या केस में सुनाए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। यह याचिका मौलाना सैयद अशद रशीदी की ओर से दायर की गई है, जो अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के 10 याचिकाकर्ताओं में से एक हैं।
यह पुनर्विचार याचिका इस विवाद में मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशद रशीदी ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि फैसला त्रुटिपूर्ण है और इस पर संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत पुनर्विचार की जरूरत है।
पुनर्विचार याचिका मे कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने पक्षकारों को राहत के मामले में संतुलन बनाने का प्रयास किया है, हिंदू पक्षकारों की अवैधताओं को माफ किया गया है और मुस्लिम पक्षकारों को वैकल्पिक रूप में पांच एकड़ भूमि का आबंटन किया गया है जिसका अनुरोध किसी भी मुस्लिम पक्षकार ने नहीं किया था।
रशीदी जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष हैं। पुनर्विचार याचिका में उन्होंने कहा है कि इस तथ्य पर गौर किया जाये कि याचिकाकर्ता ने संर्पूण फैसले को चुनौती नही दी है।
बता दें कि जमीयत की कार्यकारी समिति ने 14 नवंबर को पांच सदस्यों का एक पैनल गठित किया था जिसमें कानूनी विशेषज्ञ और धार्मिक मामलों के विद्वानों को शामिल किया गया था। इस समिति का गठन उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले के प्रत्येक पहलु को देखने के लिए किया गया था।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की अगुवाई में इस पैनल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका की संभावनाओं को देखा और सिफारिश की इस मामले में समीक्षा याचिका दायर की जानी चाहिए।
जिलानी बोल, हमारी याचिका आज नहीं
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष (अयोध्या मामले में) पुनर्विचार याचिका दायर नहीं कर रहे हैं। हमने समीक्षा याचिका तैयार की है और हम इसे 9 दिसंबर से पहले किसी भी दिन दायर कर सकते हैं।
अयोध्या पर टकराव का माहौल बनाने की कोशिश में पर्सनल लॉ बोर्डः नकवी
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अयोध्या मामले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका की बात करने वाले लोग बिखराव और टकराव का माहौल पैदा करने की कोशिश में हैं लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयोध्या का मुद्दा अब खत्म हो गया है और इसे अब उलझाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने सर्वसम्मति के फैसले में इस मामले को हल कर दिया है।
दोहरे मानदंड का परिचायकः श्रीश्री रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद की ओर से अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की समीक्षा का फैसला दोहरे मानदंड का परिचायक है।हिंदुओं और मुस्लिमों को अब इस मसले से ऊपर उठ कर अर्थव्यवस्था मजबूत करने में जुट जाना चाहिए। ध्यान रहे कि श्री श्री सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या मसले पर गठित मध्यस्थता समिति के भी सदस्य रहे हैं।