हॉक युद्धक विमानों की गड़गड़ाहट से गूंजी दून घाटी, दिखाए करतब

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वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना की विजय के 50 साल पूरे होने के मौके पर वायुसेना की सूर्य किरण एयरोबैटिक टीम (स्काॅट) ने सोमवार को हॉक युद्धक विमानों के साथ राजधानी देहरादून के आसमान में फ्लाईपास्ट किया। युद्धक विमानों की गड़गड़ाहट से दून घाटी गूंज उठी।

गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से उड़ान भरने के बाद राजधानी दून पहुंची सूर्य किरण टीम के जांबाज पायलटोंकी टीम ने दो बार आसमान के चक्कर लगाकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। संभवत: यह पहला मौका था जब वायुसेना के इतने युद्धक विमानों ने एक साथ राज्य के आसमान में उड़ान भरी।

विजय वर्ष के मौके पर नारंगी और सफेद रंग के युद्धक विमानों की गर्जना को सुनकर लोग घरों से बाहर निकले। एकबारगी तो लोगों को समझ ही नहीं आया कि आखिरकार हुआ क्या है, लेकिन जब पांच मिनट बाद सूर्यकिरण टीम जिगजैग फार्मेशन में दोबारा लौटी तो शहरियों ने फ्लाईपास्ट को देखा और अपने मोबाइल फोन के कैमरों में भी कैद किया।

आसमान में दो चक्कर लगाने के बाद सूर्यकिरण टीम विमानों के साथ हिंडन एयरबेस लौट गई। नारंगी और सफेद रंग के हॉक युद्धक विमानों को देखकर लोग गदगद नजर आए। भारतीय वायुसेना हमेशा अपनी व्यावसायिकता, सटीकता और कौशल के कारण राष्ट्र का गौरव रही है।युद्ध और शांति में बार-बार साबित भी किया है। दुुनिया भर के तमाम देशोें में अधिकांश पेशेवर वायुसेनाओं की अपनी एक एरोबैटिक टीम होती है। इसी तर्ज पर भारतीय वायुसेना की ओर से वर्ष 1996 में सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम का गठन किया गया था। सूर्यकिरण टीम को भारतीय वायुसेना के राजदूत के रूप में जाना जाता है। सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम में 17 जांबाज पायलटों के अलावा 200 तकनीशियन शामिल हैं। सूर्यकिरण टीम भारतीय वायुसेना के आदर्श वाक्य टच द स्काई विद ग्लोरी का सार्थक साबित कर रही है। सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम दुनिया की उन चुनिंदा एयरोबैटिक टीम में से एक है जिसमें नौ युद्धक विमान शामिल हैं।टीम का आदर्श वाक्य ऑलवेज द बेस्ट है। टीम को चीफ ऑफ एयर स्टाफ के प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार पाने वाली यह वायुसेना की पहली इकाई है। सूर्यकिरण टीम ब्रिटिश रेड एयरो और कनाडा की स्नोबर्डस टीम के साथ दुनिया की शीर्ष तीन टीमों में शामिल है।

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