दिल्ली। चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाराष्ट्र के वर्धा में एक अप्रैल को दिए भाषण के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन की शिकायत पर जांच की। आयोग को इसमें आचार संहिता उल्लंघन जैसा कुछ भी नहीं मिला। आयोग के इस फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। विपक्षी पार्टी का कहना है कि देश में दो तरह के कानून नहीं हो सकते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर लिखा, ‘इस बात से निराश हूं कि देश के प्रधानमंत्री को धारा 324 और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के बावजूद बिना रुकावट के जाने की अनुमति है। यह अब साफ हो गया है कि आदर्श आचार संहिता अब मोदी आचार संहिता बन गई है। देश में दो तरह के कानून नहीं हो सकते, एक मोदी जी के लिए और दूसरा बाकी देश के लिए।’
बसपा प्रमुख मायावती ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘यूपी सहित देश के जिन राज्यों में भी भाजपा की सरकारें हैं वहां चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग चरम पर बना हुआ है। खासकर मतदान वाले दिन तो हर सीमा लांघ दी जाती है। यूपी, महाराष्ट्र, त्रिपुरा आदि इसके खास उदाहरण हैं। फिर भी चुनाव आयोग इसका उचित संज्ञान क्यों नहीं ले रहा है?’
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘पीएम श्री मोदी को पता है कि हर प्रकार के षड्यंत्रों आदि के बावजूद उनकी निरंकुश सरकार जा रही है। इसीलिए वे गैर-भाजपा राज्यों में अनैतिकता, हिंसा आदि के साथ-साथ सपा-बसपा सहित विपक्ष के शीर्ष नेताओं को भी सीबीआई, ईडी, आईटी आदि सरकारी मशीनरी के जरिए भयभीत करने में लगे हुए हैं।’
मायावती ने तीसरे ट्वीट में कहा, ‘और अभी हाल में इनका जनविरोधी अहंकार इतना सिर चढ़कर बोला कि इन्होंने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 40 विधायक तोड़कर ममता बनर्जी सरकार गिराने की खुलेआम धमकी भी दे डाली जो राजनीतिक षड्यंत्र का चरम है, जिसके लिए बंगाल व देश की जनता उन्हें कभी भी माफ करने वाली नहीं है।’
बता दें कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी को वर्धा में दिए उनके उस भाषण के लिए मंगलवार को क्लीन चिट दे दी जिसमें उन्होंने वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना की थी और ‘संकेत’ दिया था कि केरल के इस संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है।
चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मामले की आदर्श आचार संहिता के मौजूदा दिशानिर्देशोंध्प्रावधानों, जनप्रतिनिधि कानून के तहत और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट के अनुरूप विस्तृत जांच पड़ताल की गई। तदनुसार आयोग का यह विचार है कि इस मामले में ऐसा कोई उल्लंघन नहीं दिखा है।’