दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर लगे प्रतिबंध को अगले पांच सालों के लिए बढ़ा दिया है। सरकार ने इसे गैरकानूनी संघ बताया है। नई अधिसूचना जारी करते हुए सरकार ने इसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है और इसे भारत विरोधी करार दिया है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि लिट्टे का उद्देश्य सभी तमिलों के लिए अलग देश की मांग करने से भारत की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हुआ है। भारत सरकार हर दो साल के लिए लिट्टे पर प्रतिबंध लगाता है और दो साल बाद उसे बढ़ा दिया जाता है। 27 साल पहले भारत ने 1992 में 14 मई को लिट्टे पर प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद से इस प्रतिबंध को बढ़ाया जा रहा है।
भारत सरकार ने पड़ोसी देश श्रीलंका के विद्रोही संगठन लिट्टे पर गैरकानूनी गतिविधियों संबंधी अधिनियम के तहत 14 मई 1992 को प्रतिबंधित किया था। इससे पहले यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका ने भी इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
साल 1992 में इस संगठन द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या किए जाने के बाद इस संगठन को गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम के तहत प्रतिबंध कर दिया गया था। भारत श्रीलंका में जाकर कई बार लिट्टे का मुकाबला कर चुका है।
अधिसूचना में कहा गया है कि क्षेत्र विशेष में लिट्टे इंटरनेट पोर्टल के जरिए यह प्रचारित कर रहा है कि भारत सरकार की वजह से उसकी हार हुई। इंटरनेट के जरिए वह भारत विरोधी प्रोपेगैंडा फैला रहा है। इसका भारत के बहुत बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है। मई 2009 में श्रीलंका में अपनी सैन्य हार के बाद भी, लिट्टे ने अपनी ईलम अवधारणा को नहीं छोड़ा है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1987 में भारतीय शांति सेना उत्तरी श्रीलंका में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से वहां गई लेकिन वहां लिट्टे के साथ युद्ध में उसके करीब 1,200 जवान मारे गए थे।