साथ में यह भी पढें —
- सीतारमण ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी
- कश्मीर में फॉरवर्ड पोस्ट पर भी गईं सीतारमण
- कौन-कौन से मंत्री सियाचिन गए?
- आर्मी के लिए क्यों अहम है सियाचिन?
जम्बू-कश्मीर (एजेंसीज) : निर्मला सीतारमण ने पहली महिला रक्षा मंत्री के तौर पर शनिवार को लद्दाख रेंज में सियाचिन का दौरा किया। उन्होंने लेह से 120 किलोमीटर दूर ‘प्रथम-श्योक’ ब्रिज काउदघाटन किया. इससे सेना को आवाजाही में मदद मिलेगी। रक्षा मंत्री ने हेलिकॉप्टर के जरिए चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर से सटे इलाकों और फॉरवर्ड पोस्ट की सिक्युरिटी का जायजा लिया। उनसे पहले महिला मंत्री के तौर पर स्मृति भी सियाचिन ग्लेशियर जा चुकी हैं। दो साल पहले पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी सियाचिन गए थे। बता दें कि सियाचिन 24 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा और मुश्किल बैटल फील्ड है। यहां से चीन और पाकिस्तान पर नजर रखी जाती है।
सीतारमण ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी
- रक्षा मंत्री शनिवार सुबह सियाचिन बेस कैंप पहुंचीं। यहां वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जवानों से मुलाकात की। साथ ही आला अफसरों से सियाचिन के सिक्युरिटी हालात और जवानों की जरूरतों की जानकारी ली।
- सीतारमण ने लेह से करीब 120 किलोमीटर दूर ‘प्रथम-श्योक’ ब्रिज का इनॉगरेशन किया। यह पुल लेह और कराकोरम को जोड़ता है। इससे आर्मी को चीन से सटे दरबुक और दौलत बेग ओल्डी सेक्टर तक आवाजाही में मदद मिलेगी।
कश्मीर में फॉरवर्ड पोस्ट पर भी गईं सीतारमण
- रक्षा मंत्री बनने के बाद सीतारमण पहली बार दो दिन के जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंची थीं। रविवार को सीतारमण ने आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के साथ नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा में कुछ फॉरवर्ड पोस्ट का दौरा किया। इस दौरान आर्मी चीफ ने रक्षा मंत्री को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से आतंकी घुसपैठ को रोकने के उपायों की जानकारी दी। सीतारमण ने पोस्ट पर तैनात जवानों से मुलाकात की और सिक्युरिटी का जायजा लिया। शाम को सीएम महबूबा मुफ्ती और गवर्नर से मुलाकात की।
- बता दें कि रक्षा मंत्री का जम्मू-कश्मीर दौरा ऐसे वक्त हुआ, जब पाकिस्तान रोजाना सीजफायर वॉयलेशन कर रहा है। पाकिस्तान बर्फबारी शुरू होने से पहले फायरिंग की आड़ लेकर PoK से आतंकवादियों को कश्मीर में दाखिल कराना चाहता है। इंटेलिजेंस एजेंसियों ने आगाह किया है कि सीमा पार से बड़ी संख्या में आतंकी भारत में घुसपैठ की फिराक में हैं। इसके जवाब में सिक्युरिटी फोर्सेस ने पिछले एक महीने में LoC के पास घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर कई आंतकवादियों को मार गिराया है।
कौन-कौन से मंत्री सियाचिन गए?
- 22 मई, 2015 में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सियाचिन का दौरा किया था। यहां बने वॉर मेमोरियल पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने हेलिकॉप्टर से सियाचिन ग्लेशियर के सुरक्षा हालात का जायजा लिया था।
- 9 अगस्त, 2016 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी रक्षाबंधन पर सियाचिन में तैनात सैनिकों को राखी बांधने के लिए गई थीं। इस दौरान वे अपने साथ 70 शहरों से जुटाए लोगों के मैसेज लेकर पहुंचीं। स्मृति दुनिया के सबसे ऊंटे बैलट पर जाने वाली देश की पहली महिला मंत्री थीं।
आर्मी के लिए क्यों अहम है सियाचिन?
- हिमालयन रेंज में मौजूद सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा बैटल फील्ड है। 1984 से लेकर अब तक यहां करीब 900 जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर की शहादत एवलांच और खराब मौसम के कारण हुई।
- सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों पर नजर रखी जाती है। विंटर सीजन में यहां काफी एवलांच आते रहते हैं। सर्दियों के सीजन में यहां एवरेज 1000 सेंटीमीटर बर्फ गिरती है। मिनिमम टेम्परेचर माइनस 50 डिग्री (माइनस 140 डिग्री फॉरेनहाइट) तक हो जाता है।
- यहां हर रोज आर्मी की तैनाती पर 7 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यानी हर सेकंड 18 हजार रुपए। इतनी रकम में एक साल में 4000 सेकंडरी स्कूल बनाए जा सकते हैं। अगर एक रोटी 2 रुपए की है तो यह सियाचिन तक पहुंचते-पहुंचते 200 रुपए की हो जाती है।