दिल्ली। नवगठित संसद का पहला सत्र आज से शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ले चुके हैं। अधिकारियों ने रविवार को कहा था कि शपथ ग्रहण कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। यानी दो दिन नवनिर्वाचित सांसदों को प्रोटेम स्पीकर पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। नियमों के अनुसार सदन के नेता के रूप में प्रधानमंत्री सबसे पहले शपथ लेते हैं। इसके बाद मंत्रिमंडल के सदस्य शपथ लेते हैं।
लोकसभा अधिकारी ने कहा, ‘यदि कोई सदस्य शपथ नहीं लेता है तो वह सदन की किसी भी कार्रवाई में हिस्सा नहीं ले सकता है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए कार्यकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राज्यसभा सांसद थे। इसलिए सदन के नेता ने पहले शपथ ली थी। मगर इस बार मोदी प्रधानमंत्री होने के साथ ही सदन के नेता भी हैं।’ 2014 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और सोनिया गांधी ने मंत्रियों के बाद शपथ ली थी। ऐसा उनके पद और वरिष्ठता की वजह से हुआ था।
एक अधिकारी ने कहा, ‘इस साल लालकृष्ण आडवाणी ने चुनाव नहीं लड़ा है और यूपीए अध्यक्ष कब शपथ लेंगी इसका फैसला सोमवार को ही लिया जाएगा। सांसदों को प्रधानमंत्री और मंत्रियों के बाद उनके राज्य के नाम के अक्षर के क्रम में शपथ दिलाई जाती है।’ राज्यों में भी एक नाम के सांसदों को किसी भी तरह के भ्रम से बचाने के लिए उनके नाम की वर्णमाला क्रम में बुलाया जाता है। इस तरह अंडमान निकोबार सबसे पहले और उसके बाद आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश का नाम नंबर आएगा।
लोकसभा सचिवालय ने पहली बार सभी 22 भाषाओं में शपथ के ऑनलाइन प्रारूप प्रदान किए हैं, जिसमें सदस्य शपथ ले सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘वह किसी भी भाषा में शपथ ले सकते हैं लेकिन यदि वह हिंदी या अंग्रेजी नहीं है तो उन्हें लोकसभा सचिवालय को इसकी अग्रिम सूचना देनी पड़ेगी।’ सचिवालय ने दोहराया कि सांसदों को केवल शपथ के आधिकारिक मसौदे को ही पढ़ना होगा। मसौदा चूंकि ऑनलाइन है तो सांसदों से निवेदन किया गया है कि वह उसने कोई शब्द न जोड़ें या कोई वाक्य न बदलें।