दिल्ली। कांग्रेस ने पांच बार के सांसद अधीर रंजन चैधरी को लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में नामित किया है। चैधरी 1999 से बंगाल के बेरहमपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले अकेले कांग्रेस सांसद हैं। पार्टी ने आज सुबह एक बैठक में यह फैसला लिया, जहां पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और उनकी मां, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी मौजूद थीं।
इस निर्णय के बारे में पूछे जाने पर चैधरी ने कहा, मुझे यह जिम्मेदारी दी गई है। मुझे अग्रिम पंक्ति में खड़े रहने के लिए कहा गया और मैंने कहा ठीक है।मैं पार्टी का सिपाही हूं और बतौर सिपाही लड़ूंगा।
चैधरी के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, हालांकि चैधरी मंगलवार को सदन में विपक्ष की तरफ उसी सीट पर बैठे थे जिस पर नेता प्रतिपक्ष अथवा सबसे बड़े दल का नेता बैठता है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि केरल से पार्टी के सांसद के. सुरेश को मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी दी जा सकती है। पहले यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि सुरेश को सदन में नेता की जिम्मेदारी दी जा सकती है। कांग्रेस को इस बार के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 52 सीटें मिली हैं जो नेता प्रतिपक्ष का दर्जा प्राप्त करने के लिए जरूरी संख्या से कम है।
अधीर रंजन चैधरी पश्चिम बंगाल से पांच बार से सांसद हैं। वह 1999 के बाद से एक बार भी चुनाव नहीं हारे हैं।
बंगाल इकाई के अध्यक्ष
चैधरी कांग्रेस की बंगाल इकाई के अध्यक्ष भी हैं। कांग्रेस ने 2014 में राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी। इस बार, केवल चैधरी ही अपनी सीट बरकरार रख पाए। मल्लिकार्जुन खड़गे जो पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता थे, इस बार चुनाव हार गए। इससे पहले कांग्रेस के तीन नेताओं का नाम इस पद के लिए चर्चा में था।
लेकिन पहले नाम के तौर पर अधीर रंजन चैधरी शुरू से चर्चा में रहे। वो पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष के साथ केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। ये पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से 5वीं बार सांसद बने हैं। इन्हें जमीनी नेता माना जाता है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी से न बनने के कारण इन्हें पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था। रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने इन्हें पार्टी की तरफ से प्रतिनिधि के रूप में भेजा था।
वहीं, लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी द्वारा पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश के बाद कांग्रेस खफा थी। हालांकि पार्टी की कार्यसमिति ने उनके इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया, लेकिन राहुल अपने फैसले को लेकर अभी स्पष्ट नहीं हैं।