दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की धारा 370 पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद अब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे का इस्तेमाल अपनी सहूलियत के हिसाब से करती हैं। ये विशेष दर्जा इन दोनों की ही देन है। इन दोनों पार्टियों को जब ठीक लगता है तब इस्तेमाल करती हैं और जब ठीक नहीं लगता है तब नहीं करती हैं।
जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘संविधान सभा के दूसरे सदस्यों जैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आपत्तियों को दूर करने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, ये घिसते-घिसते घिस जाएगी।’
उन्होंने कहा, देशभर की विधानसभाओं के कार्यकाल को छह साल तक के लिए बढ़ाया गया था। तब जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अबदुल्ला ने इस स्वीकार कर लिया था। लेकिन जब तीन साल बाद मोरारजी सरकार ने इस नियम को हटाया तो अब्दुल्ला ने यह कहकर मना कर दिया कि हमारे पास विशेष दर्जा है। सिंह ने कहा कि इसका नतीजा ये हुआ कि आज 40 साल बाद भी केवल जम्मू कश्मीर में ही विधानसभा छह साल तक चलती है।
आज तक हम झगड़े में फंसे
जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कैबिनेट में सरदार वल्लभभाई पटेल को दो नंबर की जगह दी थी। वो गृह मंत्री थे। तो जम्मू-कश्मीर का मामला भी उन्हें ही देखने देना था। ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने हैदराबाद सहित अन्य प्रदेशों को संभाला।
अगर ऐसा होता तो ना केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि देश के दूसरे राज्यों का इतिहास भी अलग होता। पंडितजी को लगता था कि केवल वो ही कश्मीर को किसी और से ज्यादा बेहतर जानते हैं, तो उन्होंने ऐसा किया। हम आज तक इसी झगड़े में फंसे हैं।’
साल के अंत तक विधानसभा चुनाव
सिंह का बयान एक ऐसे समय में आया है, जब लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने भी ये स्पष्ट कर दिया है कि सरकार राज्य में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव करवाएगी।
शाह ने लोकसभा में जोर देकर कहा था कि संविधान में धारा 370 अस्थायी है और जम्मू-कश्मीर पर उनके एजेंडे में कोई बदलाव नहीं आया है। गृह मंत्री ने आक्रामक अंदाज बनाए हुए जम्मू-कश्मीर के संकट के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भूल को जिम्मेदार ठहराया।
जो कहा साफ कहा
शाह ने संसद में अपने वक्तव्य में जम्मू-कश्मीर को लेकर स्पष्ट नजरिया सामने रखा। उन्होंने कहा कि अभी तक जम्मू-कश्मीर में तीन परिवारों ने शासन किया, लेकिन अब वहां इंसानियत, जम्हूरियत, कश्मीरियत के साथ लोकतंत्र जिंदा हो रहा है। 40 हजार पंचायतों को अधिकार मिला और निकाय, पंच अपना काम कर रहे हैं।
शाह ने साफ कहा कि विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं कि जम्मू-कश्मीर नियंत्रण के बाहर है। उन्होंने कहा कि राज्य के हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। इसके लिए स्थानीय निकाय, पंचायत और लोकसभा चुनाव का उदाहरण दिया। शाह ने कहा कि दोनों चुनावों में ना तो हिंसा हुई और ना ही किसी के रक्त का एक कतरा बहा।