मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 140 हो गई है। इनमें 119 की मौत श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) और 21 मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई हैं। इस बीमारी को बिहार में दिमागी बुखार और चमकी बुखार भी कहा जाता है।
बिहार सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की टीमें बच्चों की मौत के असल कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इसकी असल वजह का पता नहीं चल पा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य विधानसभा में कहा था कि एईएस से होने वाली मौतों में कमी आई है। उन्होंने कहा था, “जो हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था, दुख व्यक्त करना पर्याप्त नहीं है। यह बेहद संवेदनशील मुद्दा है। हमने कई सारी बैठकें कीं और मुद्दे पर चर्चा की।” राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इस दौरान कहा कि “मृत्यु दर में 21 फीसदी की कमी आई है। 2011-19 के आंकड़ों के अनुसार बीते कुछ सालों में एईएस से होने वाले मौत के आंकड़े में कमी आई है।
” बता दें नीतीश सरकार की बीमारी के कारण लगातार हो रही मौत के चलते काफी निंदा हुई थी। कहा गया कि सरकार ने देरी से मामले को संज्ञान में लिया और मुख्यमंत्री भी काफी दिनों बाद अस्पताल के दौरे पर आए। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जनहित याचिका दायर होने के बाद केंद्र, बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार से सात दिनों में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। जिसमें उनसे मुजफ्फरपुर में एईएस से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता से संबंधित सुविधाओं का विवरण मांगा गया था।