ऑनलाइन शॉपिंग के लिए अपना अमेजन-अलीबाबा लाएगी मोदी सरकार

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PM Modi, Nitin Gadkari(File Photo)

दिल्ली। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े उत्पादों को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के लिए सरकार जल्द ही अमेजन-अलीबाबा जैसी ई कॉमर्स कंपनियों की तर्ज पर बड़ी वेबसाइट बनाएगी। सरकार की योजना अगले पांच साल में लघु एवं मध्यम उद्योगों की जीडीपी में वर्तमान 29 फीसदी हिस्सेदारी को बढ़ा कर 50 फीसदी करने और अगले पांच साल में चार करोड़ नए रोजगार पैदा करने की है।

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सूक्ष्म-लघु और मध्यम उद्योगों के मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस क्षेत्र की माली हालात सुधारने के लिए इनसे जुड़े उत्पादों को उचित मंच मुहैया कराना जरूरी है। इसलिए तय किया गया है कि अमेजन-अलीबाबा जैसी वैश्विक वेबसाइट तैयार कर इन उद्योगों के साथ खादी से जुड़े उत्पादों को इससे जोड़ जाए। इससे इन उत्पादों को देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी खरीददार मिलेंगे। उत्पादनकर्ता को अपने उत्पाद की बेहतर राशि मिलेगी। 

  • खास बातें

    • लघु-मध्यम उद्योग के उत्पादों को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने की है योजना 
    • लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में गडकरी विभागीय मंत्री गडकरी ने दी जानकारी
    • पांच साल में चार करोड़ नए रोजगार और जीडीपी में 50 फीसदी हिस्सेदारी तय करने का लक्ष्य 

50 फीसदी हिस्सेदारी चार करोड़ नए रोजगार

गडकरी ने कहा कि इन उद्योगों की जीडीपी में हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए विस्तृत योजना बनाई गई है। अगले पांच साल में इसकी हिस्सेदारी को 29 फीसदी से बढ़ा कर 50 फीसदी करने और इन क्षेत्रों में कम से कम चार करोड़ नए रोजगार सृजित करने की है। अभी यह क्षेत्र 11 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहा है।

अधीर को गडकरी की चुनौती-राजमार्ग पर किया एक भी वादा अधूरा नहीं

गडकरी ने जब चार करोड़ नए रोजगार देने की बात कही तो कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने तंज कसते हुए कहा कि पहले की तरह झूठा वादा मत कीजिये। इस पर गडकरी ने उन्हें बहस की चुनौती दी और कहा कि बीते कार्यकाल में उन्होंने राजमार्ग मंत्री के रूप में जो भी घोषणा की उसमें से अगर एक भी पूरा नहीं हुआ हो तो वह उनके साथ बहस करें।

चीनी मिल के पचड़े में न पड़ें
इस दौरान गडकरी ने एक युवा सांसद को चीनी मिल के पचड़े में नहीं पडने की सलाह दी। खुद का अनुभव बताते हुए गडकरी ने कहा कि इस क्षेत्र में अब कुछ नहीं रखा। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी 22 रुपये किलो है जबकि अपने यहां 10 रुपये की सब्सिडी दे कर 32 रुपये का मानक तय किया गया है।

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