ब्रीफकेस नहीं फोल्डर में बजट लेकर संसद पहुंची सीतारमण, बनीं नई परंपराएं

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खास बातें
-49 साल बाद देश में किसी महिला वित्त मंत्री ने पेश किया बजट
-सन 1970 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था
-परंपरा तोड़ते हुए ब्रीफकेस की जगह फोल्डर में बजट लाईं सीतारमण
-भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की हुई बात

दिल्ली। इस बार का बजट कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। कई पुरानी परंपराएं खत्म हुईं तो कई नई गढ़ी भी गईं। 49 साल बाद देश में किसी महिला वित्त मंत्री ने बजट पेश किया। निर्मला सीतारमण से पहले सन 1970 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था। निर्मला सीतारमण का यह पहला बजट है।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस पहले बजट को संसद में प्रस्तुत करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। उन्होंने परंपरा तोड़ते हुए ब्रीफकेस की जगह एक फोल्डर में बजट रखा था। अब तक वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में ही बजट लेकर संसद पहुंचते थे।

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने फोल्डर में बजट ले जाने पर कहा कि यह सच्ची भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी मानसिकता की गुलामी से बाहर आने का प्रतीक है। इसे आप बजट नहीं बल्कि बही खाता कह सकते हैं।

वित्त मंत्री ने चाणक्य नीति और मंजूर हाशमी की शायरी का उदाहरण इसलिए दिया क्योंकि वह उस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की बात कर रही थीं। उन्होंने बजट भाषण में बताया कि 2014 में अर्थव्यवस्था 1.8 ट्रिलियन डॉलर थी जो पांच साल में बढ़कर यानी 2019 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गई और अब इसे बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करना है।

बजट भाषण के दौरान उन्होंने सरकार की मंशा जाहिर करते हुए चाणक्य नीति और उर्दू शायरी का इस्तेमाल किया। निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘चाणक्य नीति कहती है- कार्य पुरुषा करे, ना लक्ष्यम संपा दयाते’ यानी इच्छाशक्ति के साथ किए प्रयासों से लक्ष्य जरूर हासिल कर लिया जाता है। इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने उर्दू की एक शायरी भी पढ़ी।

‘यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है’

बतौर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरे आत्मविश्वास के साथ बजट प्रस्तुत किया। उनके प्रस्तुतिकरण में अनुभव की छाप दिखाई दे रही थी। वो न केवल सदन में मौजूद सांसदों से मुखातिब थीं, बल्कि समय-समय पर लोकसभा अध्यक्ष को भी संबोधित कर रही थीं।

उनके बजट में दूरदर्शिता और अनुभव की छाप दिखाई दे रही थी। निर्मला सीतारमण का पूरा बजट भाषण अंग्रेजी में था, पर बीच-बीच में वो हिंदी शब्दों का उपयोग भी कर रही थीं। उनके भाषण में 24 बार इंडिया, सात बार इंडियन, 11 बार इकोनॉमी, सात बार महिला शब्द दोहराया।

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