पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार का कुत्सित रूप बना ‘कट मनी’, अंतिम संस्कार के लिए वसूलते हैं रूपये

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दिल्ली। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में शुरू हुआ कट मनी का खेल अब पार्टी के गले की फांस बन गया है। कुछ दिनों पहले तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के नेताओं और जनप्रतिनिधियों से कहा कि कोई भी कट मनी न ली जाए। जिसके बाद से आम लोगों को कट मनी की रकम लौटाने का सिलसिला शुरू हुआ।

लेकिन ममता बनर्जी की इस स्वीकारोक्ति से पार्टी की छवि को नुकसान जरूर हुआ है। वहीं भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव के दौरान बैठे-बिठाए मुद्दा भी मिल गया था। संभव है कि इस मामले को आगामी विधानसभा चुनाव में भी भुनाया जाए।

क्या कहा था ममता ने
तृणमूल कांग्रेस नीचे तक भ्रष्टाचार के गर्त में डूबी हुई है और अब समय आ गया है कि इस पर सख्ती से काबू पाया जाए। मुझे पार्टी में चोर नहीं चाहिए। जिन्होंने लोगों से पैसा लिया है, वे जाकर उन्हें लौटा दें। आप लोग तो मुर्दों को भी नहीं छोड़ रहे हैं और गरीबों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए सरकार से मिल रहे 2,000 रुपये में से भी 10 फीसदी कमीशन वसूल रहे हैं।

कट मनी की रेट लिस्ट इस प्रकार हैः

-अंतिम संस्कार के लिए गरीबों को दी जाने वाली समब्याति सहायता के 2000 रुपये के बदले 200 रुपये कट मनी

-स्वच्छ भारत (निर्मल बांग्ला) के तहत शौचालय बनाने की सरकारी मदद राशि 10000-12000 के बदले 1000 रुपये कट मनी

-मनरेगा के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना घरों के लिए मिलने वाली सरकारी सहायता राशि 18000 के बदले 8000 रुपये कट मनी

-प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (बंगलार बाड़ी) की रकम 1.2 लाख रुपये पाने के लिए 10000 रुपये कट मनी

-उज्जवला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन के लिए प्रत्येक लाभार्थी से 500 से 600 रुपये तक कट मनी

-ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत आने वाले कामगारों से 20 से 40 रुपये प्रतिदिन कट मनी वसूलना

क्या होता है कट मनी
कट मनी सत्ताधारी नेताओं द्वारा स्थानीय क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए स्वीकृत धनराशि से लिया जाने वाला अनौपचारिक कमीशन है। उदाहरण के लिए, यदि सरकार किसी विशेष परियोजना के वित्तपोषण के लिए 100 रुपये जारी करती है, तो स्थानीय नेता अनुदान जारी करवाने के बदले के लिए कमीशन के रूप में 25 रुपये वसूल करते हैं। इस कमीशन को निचले स्तर के नेता से लेकर वरिष्ठतम नेता तक सभी के बीच बांटा जाता है।

कट मनी लौटाना शुरू
जनता के विरोध प्रदर्शनों के दबाव में आकर पूर्वी बर्धमान जिले में तृणमूल कांग्रेस के छह स्थानीय नेताओं ने लोगों से कथित ‘कट मनी’ (कमीशन) के तौर पर लिए गए 1.5 लाख रुपये वापस लौटा दिए। केतुग्राम के लोगों का आरोप था कि तृणमूल कांग्रेस के इन नेताओं ने नबग्राम पंचायत के शिबलून गांव में सरकारी आवास योजना के 45 लाभार्थियों से अवैध तरीके से ‘कमीशन’ लिया है।

स्वीकारोक्ति से बढ़ा संकट
कट मनी की वसूली के बारे में ममता बनर्जी की स्वीकारोक्ति ने तृणमूल कांग्रेस का संकट बढ़ाया ही है। इससे 2021 के विधानसभा चुनावों में राज्य की सत्ता पाने की भाजपा की कोशिशों को बल ही मिलेगा। जय श्री राम का नारा लगाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर विवाद, बांग्ला न बोलने के लिए ‘बाहरी’ लोगों के खिलाफ गुस्सा और डॉक्टरों की हड़ताल से निबटने में बरती गई कोताई, तृणमूल की छवि और साख पर बट्टा लगा चुकी हैं। यही वजह है कि बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं ने पाला बदलकर भाजपा का रुख कर लिया है।

भ्रष्टाचारी देशों की सूची में भारत 81वें स्थान पर
भ्रष्टाचार को लेकर भारत के सरकारी क्षेत्र की छवि दुनिया की निगाह में अब भी खराब है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की इस साल जनवरी में आई रिपोर्ट ‘ग्लोबल करप्शन इंडेक्स-2017’ में भारत को 81वें स्थान पर रखा गया है। 2016 की तुलना में 2017 में भारत की रैंक में गिरावट भी दर्ज की गई है। 2017 में 176 देशों की सूची में भारत 79वें स्थान पर था, वहीं 2016 में भारत 76वें स्थान पर था।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारों को एक सशक्त संदेश देने के उद्देश्य से 1995 में शुरू किए गए, इस सूचकांक में 180 देशों की स्थिति का आकलन किया गया है। इस सूचकांक को विश्लेषकों, कारोबारियों और विशेषज्ञों के आकलन और अनुभवों पर आधारित बताया जाता है। इसमें पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के लिए काम की आजादी जैसी कसौटियां भी अपनाई जाती हैं।

जहां तक भारत के पड़ोसी देशों की बात की जाए तो इस सूची में पाकिस्तान को 117वें, बांग्लादेश को 143वें, म्यांमार को 130वें तथा श्रीलंका को 91वें स्थान पर रखा गया है। भारत के पड़ोसी देशों में भूटान का स्कोर सबसे अच्छा 67 अंक रहा है। वह सूची में 26वें स्थान पर है। चीन 41 अंक के साथ इस सूची में 77वें स्थान पर है।

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