दिल्ली। कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर उच्चतम न्यायाल में सुनवाई हो रही है। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) पर सरकार के इशारे पर अपने इस्तीफे स्वीकार न करने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि विधायकों ने कब इस्तीफा दिया था। जिसका जवाब देते हुए विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सभी ने छह जुलाई को इस्तीफा दिया था।
रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विधायकों को बांधे रखने की कोशिश क्यों हो रही है। स्पीकर यदि चाहते हैं तो फैसला ले सकते हैं। इस्तीफे को अयोग्यता से जोड़ना गलत है और दोनों अलग-अलग मामले हैं। रोहतगी ने उदाहरण देते हुए कहा कि उमेश जाधव ने इस्तीफा दिया और उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया। विधायकों के हवाले से रोहतगी ने अदालत में कहा, ‘हम विधायक बने रहना नहीं चाहते हैं। कोई भी हमें मजबूर नहीं कर सकता। मेरा इस्तीफा स्वीकार किया जाना चाहिए।’
रोहतगी ने कहा, ‘यह उनके इस्तीफे स्वीकार करने में टाल-मटोल का रवैया अपनाने की कोशिश है। स्पीकर इस्तीफे और अयोग्यता दोनों मुद्दों पर एक ही समय पर फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं।श् कांग्रेस और जेडीएस के नेता 15 विधायकों को खुले तौर पर धमकी दे रहे हैं कि सरकार के पक्ष में वोट करो या फिर अयोग्यता का सामना करो। इसपर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रोहतगी से कहा, श्यह बताएं कि विधायकों को किन परिस्थितियों और कारणों से दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया जा सकता है।’
रोहतगी ने कहा, ‘एक बार इस्तीफा देने के बाद उसका निर्णय योग्यता के आधार पर लिया जाना चाहिए। स्पीकर को इस्तीफा स्वीकर कर लेना चाहिए क्योंकि इससे निपटने का कोई और तरीका नहीं है। सरकार को सदन में बहुमत साबित करना है और बागी विधायकों को इस्तीफे के बावजूद व्हिप का पालन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बागी विधायकों के इस्तीफे में भाजपा नेताओं का कोई हाथ नहीं है। विधायकों ने खुद स्पेशल फ्लाइट ली थी और भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है। बागी विधायक अयोग्य घोषित होने के बाद भी नई सरकार में मंत्री बन सकते हैं बशर्ते कि वे दोबारा चुने जाएं।
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रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को देखना होगा कि इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया है या नहीं। अयोग्य घोषित करना संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत संक्षिप्त-सुनवाई है, जबकि इस्तीफ अलग है, उसे स्वीकार किया जाना सिर्फ एक मानक पर आधारित है कि वह स्वैच्छिक है या नहीं। मुख्य न्यायाधीश ने रोहतगी से पूछा, ‘क्या विधायक को इस्तीफा देने के बाद अयोग्य ठहराया जा सकता है? क्या इस पहलू को नियंत्रित करने वाले कोई नियम हैं?’