चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरण की एक याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया। याचिका में नलिनी ने वक्त से पहले अपनी रिहाई को लेकर तमिलनाडु के राज्यपाल को निर्देश देने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति आर सुब्बैया और न्यायमूर्ति सी सर्वणन की पीठ ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 361 कहता है कि एक राज्य का राज्यपाल अपने कर्तव्यों के निर्वहन के संबंध में किसी भी अदालत के समक्ष जवाबदेह नहीं है या उससे सवाल नहीं पूछा जा सकता।
उच्चतम न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि यह कानून राज्यपाल को अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन को लेकर पूरी छूट एवं विशेषाधिकार देता है। पीठ ने कहा कि राज्यपाल के कार्यों पर सवाल उठाना या उसके संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने में विफलता को संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
इस मामले में यह तर्क कि राज्यपाल ने मंत्रिपरिषद की सलाह को नहीं माना, याचिकाकर्ता के लिए अदालत का रुख करने का आधार नहीं माना जा सकता। मंत्रिपरिषद ने नौ सितंबर, 2018 को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को पूर्व प्रधानमंत्री के हत्याकांड में शामिल नलिनी और छह अन्य को रिहा करने की सलाह दी थी।