दिल्ली। अमेरिक के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर आए बयान पर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में जुट गया है। विपक्षी पार्टियां इस मामले पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में स्पष्टीकरण देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही, कांग्रेस ने लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव भी पेश कर दिया। यूपीए संयोजक और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी इस मामले में पीएम के बयान की मांग की।
मोदी ने नहीं की मध्यस्थता की अपील
कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा काफी संवेदनशील है। भारत इसपर किसी भी तीसरी पार्टी की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। विपक्ष के हंगामे के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मसले पर जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मध्यस्थता की कोई अपील नहीं की है। भारत का रुख हमेशा से साफ रहा है कि वह कश्मीर मुद्दे पर सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत कर सकता है और जिसमें किसी तीसरे मुल्क का दखल नहीं हो सकता। कश्मीर मसले पर हम शिमला और लाहौर समझौते के तहत ही आगे बढ़ेंगे। पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के खात्मे के बाद ही बातचीत मुमकिन है।
विदेश मंत्री के बयान के बाद भी विपक्षी सांसद लगातार हंगामा कर रहे थे जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।
स्पष्ट है हमारी विदेश नीति
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि केंद्र में किसकी सरकार है। हमारी विदेश नीति स्पष्ट है कि कश्मीर द्वीपक्षीय मुद्दा है और कोई भी तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। राष्ट्रपति ट्रंप इस बात को जानते हैं। मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति ट्रंप को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को यह बताना चाहिए था कि भारत के प्रधानमंत्री ने अमेरिका को मध्यस्थता करने के लिए कहा है।’
सरकार ने अमेरिका के सामने झुकाया सिर
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने लोकसभा में डोनाल्ड ट्रंप के बयान को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष ने कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चैधरी ने कहा कि सरकार ने अमेरिका के सामने सिर झुका दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सदन में इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की।