लखनऊ। वित्त वर्ष 2019-20 का पहला अनुपूरक बजट आने के साथ ही उत्तर प्रदेश एक नई उपलब्धि के मुहाने पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष के बाकी आठ महीने में यदि एक भी और अनुपूरक बजट आया तो प्रदेश के पांच लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनने की पूरी संभावना है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो 2020-21 के आम बजट का आकार 5 लाख करोड़ पार करना तय माना जा रहा है।
प्रदेश के 2019-20 के आम बजट का आकार 4,79,701.10 करोड़ रुपये का था। अनुपूरक बजट का 13,594.87 करोड़ रुपये मिलाकर प्रदेश का बजट 4,93,295.97 करोड़ पहुंच गया है। जानकार बताते हैं कि अनुपूरक बजट के लिए विभागों से बड़ी संख्या में प्रस्ताव आए थे। इनमें कई आकर्षक नए काम शामिल थे।
मगर, वर्ष के पूर्वार्द्ध में सीमित संसाधनों की वजह से उन्हें अनुपूरक का हिस्सा नहीं बनाया जा सका। ऐसे में वर्ष के उत्तरार्ध में दूसरा अनुपूरक बजट आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यदि इस वित्त वर्ष का दूसरा अनुपूरक बजट आया तो चालू वित्त वर्ष में ही बजट का आकार पांच लाख करोड़ रुपये पार कर सकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो 2020-21 का आम बजट पांच लाख करोड़ रुपये पार कर जाएगा, यह तय माना जा रहा है।
वित्त विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि राज्य की जीडीपी व विकास दर को ध्यान में रखकर बजट अनुमान तैयार किए जाते हैं। इस हिसाब से आम बजट के आकार में सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि तय मानी जा रही है। ऐसे में अगला आम बजट पांच लाख करोड़ से अधिक होने में कोई दुविधा नजर नहीं आ रही है।
चार महीने के भीतर इसलिए पड़ी अनुपूरक बजट लाने की जरूरत
आम बजट में मिली रकम खर्च करने के लिए अभी चार महीने (अप्रैल से जुलाई) भी नहीं बीते और सरकार अनुपूरक ले आई। सवाल उठाया जा रहा है कि इतनी जल्दी अनुपूरक बजट लाने की आवश्यकता कैसे पड़ गई? वित्त विभाग के अधिकारी इसके लिए कई वजहें गिना रहे हैं।
– पहला, लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश के कर्मचारियों को नई पेंशन की विसंगतियां दूर करने का आश्वासन दिया गया था। सरकार ने पेंशन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का आश्वासन दिया था। इसके लिए बड़े बजट की दरकार थी जिसे विभागीय बचतों से पूरा किया जाना संभव नहीं था।
– दूसरा, मुख्यमंत्री ने प्रयागराज कुंभ में देश के सबसे बड़े लंबे एक्सप्रेस-वे बनाने का एलान किया था। सीमित संसाधनों की वजह से सरकार आम बजट में इसके लिए एलान नहीं कर पाई थी। जिन एक्सप्रेस-वे पर पहले से काम चल रहा है, उनके लिए अतिरिक्त पैसे की जरूरत थी।
ये हैं तीन अन्य कारण
– तीसरा, प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं व संगिनियों का मानदेय बढ़ाने का एलान किया था। मगर, अतिरिक्त बजट की व्यवस्था न होने से भुगतान नहीं हो पा रहा था। 1.55 लाख आशा कार्यकर्ताओं का यह समूह सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाने लगा था।
– चैथा, सरकार ने अपने आकस्मिक खर्चों के लिए राज्य आकस्मिकता निधि से रकम लेकर खर्च की थी जिसे जल्द से जल्द प्रतिपूर्ति की जानी है।
– पांचवां, सरकार ने सात शहरों को अपने खजाने से स्मार्ट सिटी बनाने और 14 जिला चिकित्सालयों को राजकीय मेडिकल कॉलेज बनाने का एलान कर अनुपूरक बजट को छोटे आम बजट की तरह डिजाइन कर आम लोगों को आकर्षित करने का काम किया है।