बंगलूरू। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कन्नड़ और संस्कृति विभाग को टीपू जयंती नहीं मनाने का आदेश दिया है। यह आदेश सोमवार को कैबिनेट की बैठक में जारी किया गया था। इस फैसले को लेकर सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने इसे लेकर भाजपा पर हमला बोला है और उसे सांप्रदायिक पार्टी कर दिया है।
फैसला ऐसे समय आया है जब हाल ही में कर्नाटक की राजनीतिक उठापटक पर विराम लगा है। येदियुरप्पा ने काफी खींचतान के बाद 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। आते ही उन्होंने ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं।
इस पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि मैंने ही टीपू जयंती मनाना शुरू किया था। मेरे हिसाब से वे देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे। भाजपा के लोग धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं। राज्य में 2015 से भाजपा के विरोध के बाद भी टीपू जयंती मनाई जा रही थी। भाजपा का मानना है कि प्रदेश में कभी भी टीपू जयंती मनाने की परंपरा नहीं रही। कडगु के स्थानीय निवासी टीपू जयंती का विरोध करते रहे हैं।
कथित तौर पर यह माना जाता है कि कडगु लोगों के खिलाफ टीपू सुल्तान ने बिना किसी कारण के युद्ध शुरू किया था। इस युद्ध में बड़ी संख्या में कडगु लोग मारे गए थे। टीपू जयंती मनाने पर कडगु समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत होने की बात उठती रही है।
सोमवार को येदियुरप्पा ने विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल किया था। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई करते हुए कांग्रेस-जेडीएस के 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। बहुमत साबित करने के लिए येदियुरप्पा को 224 सदस्यों वाली विधानसभा में 104 विधायकों का समर्थन चाहिए था। एक निर्दलीय समेत उनके पास 106 विधायकों का समर्थन था।