एनएमसी बिल के खिलाफ डॉक्टरों ने की अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा, भटक रहे मरीज

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खास बातें

-गुरुवार देर रात हड़ताली संगठनों की एम्स में हुई बैठक में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की

-सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से हजारों मरीजों इलाज के लिए भटकते रहे

-संसद से पारित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल का विरोध कर रहे हैं हड़ताली डॉक्टर

-राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल के विरोध में डॉक्टर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। देर रात हड़ताली संगठनों की एम्स में हुई बैठक में इसकी घोषणा की गई। डॉक्टरों के काम के बहिष्कार से बृहस्पतिवार को हजारों मरीजों को परेशानी हुई और इलाज के लिए भटकना पड़ा।

दिल्ली। एम्स की गवर्निंग बॉडी मीटिंग में यूआरडीए, एफओआरडीए और एम्स आरडीए के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से एनएमसी बिल के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल रखने का फैसला लिया है। बता दें कि इस हड़ताल के चलते पहले से ही मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज समेत दिल्ली सरकार व नगर निगमों के 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों के करीब 20 हजार रेजिडेंट डॉक्टर बृहस्पतिवार को हड़ताल पर रहे। उन्होंने आपातकालीन विभाग में भी सेवाएं नहीं दीं। हड़ताल के चलते करीब सात हजार छोटे-बड़े ऑपरेशन टालने पड़े और 80 हजार से अधिक मरीजों को उपचार नहीं मिल सका। कई मरीज ऐसे भी थे जो सुबह से एंबुलेंस में एक से दूसरे और फिर तीसरे अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन हर जगह से उन्हें रैफर ही किया गया।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के बैनर तले डॉक्टर पैदल मार्च कर राजघाट पहुंचे और वहां से एम्स की ओर कूच किया। एम्स और सफदरजंग के डॉक्टरों ने एम्स रिंग रोड पर जाम लगाया। संसद का घेराव करने जा रहे डॉक्टरों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया। वहीं, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना और केरल समेत कई अन्य राज्यों में भी डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवा प्रभावित रही।

डॉक्टरों की हड़ताल का असर, 7 हजार ऑपरेशन टले, 80 हजार से अधिक मरीजों को नहीं मिला इलाज
सुबह 8 बजे से हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के बैनर तले लोकनायक अस्पताल से राजघाट तक पैदल मार्च कर महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने सरकार को सद्बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना की। इसके बाद सभी डॉक्टरों ने दिल्ली एम्स की ओर कूच किया। उधर, सुबह दिल्ली एम्स और सफदरजंग में डॉक्टरों ने एकजुट होकर मार्च निकाला। इसके बाद करीब 11 बजे दोनों अस्पतालों के बाहर आकर डॉक्टरों ने एम्स रिंग रोड को जाम कर दिया।

मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले डॉक्टरों पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी तादाद ज्यादा होने के कारण पुलिस को अतिरिक्त सुरक्षा बल का इंतजाम करना पड़ा। इसी बीच डॉक्टरों और चिकित्सीय विद्यार्थियों की भीड़ रिंग रोड पार कर चुकी थी। काफी देर आईएनए मेट्रो स्टेशन के पास पुलिस प्रदर्शनकारियों को रोके रही, लेकिन दोपहर ढाई बजे काफी संख्या में डॉक्टर पुलिस के चक्रव्यूह को भेदते शाम तक संसद भवन पहुंच गए।

यहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे डॉक्टरों को आनन फानन में पुलिस ने हिरासत में लिया और उन्हें मंदिर मार्ग थाने ले गई। दिल्ली एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर का कहना है कि एनएमसी विधेयक में कई खामियां होने के बाद भी सरकार का रवैया सदन में साफ दिखाई दे रहा था।

एम्स में नए मरीजों को नहीं मिला इलाज
हड़ताल के चलते एम्स और ट्रामा सेंटर में नए मरीजों को भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया। सुबह लंबी लाइनों में खड़े मरीजों को जब वापस जाने के लिए सुरक्षा गार्ड कहने लगे तो काफी बहस भी हुई। बाद में मरीजों को मायूस होकर घर जाना पड़ गया। आपातकालीन विभाग में उपचार चलता रहा, लेकिन यहां भी अन्य दिनों की भांति ज्यादा मरीजों को उपचार नहीं मिला पाया।

उधर ओपीडी में वरिष्ठ डॉक्टरों के तैनात होने के कारण करीब 500 ऑपरेशन के टाले जाने की खबर मिली है। एम्स जैसा ही हाल सफदरजंग अस्पताल में देखने को मिला। यहां भी नए मरीजों का ओपीडी में पंजीयन नहीं हो सका।

दिनभर टीवी देखते रहे वरिष्ठ डॉक्टर

हड़ताल के दौरान जहां अस्पतालों में आपाधापी का माहौल था, वहीं एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पतालों में जिम्मेदार पदों पर बैठे वरिष्ठ डॉक्टर दिनभर टीवी पर राज्यसभा में एनएमसी विधेयक पर चल रही बहस को देखते रहे। हर कोई इस विधेयक को लेकर सरकार का रुख जानने के लिए उत्साहित था।

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