दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अयोध्या मामले पर सुनवाई करते हुए छह अगस्त से नियमित सुनवाई करने का फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक रोजाना इसकी सुनवाई की जाएगी। मध्यस्थता पैनल किसी भी नतीजे पर पहुंचने में असफल रहा है। अदालत ने कहा कि मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला। हफ्ते में तीन दिन नियमित सुनवाई की जाएगी। सुनवाई मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को होगी।
गुरुवार को मध्यस्थता पैनल ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि यदि आपसी सहमति से इसका हल नहीं निकलता को मामले में रोजाना सुनवाई की जाएगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने की। पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर शामिल हैं।
इससे पहले 18 जुलाई को हुई सुनवाई में संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्लाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति को मध्यस्थता की प्रक्रिया जारी रखने के लिए कहा था और एक अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा था कि रिपोर्ट को देखने के बाद आगे की सुनवाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
मालूम हो कि आठ मार्च को उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता पैनल का गठन किया था। गत 11 जुलाई को अदालत ने समिति को 18 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। बाद में मध्यस्थता पैनल को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक अगस्त तक का वक्त दिया गया था।
मध्यस्थता पैनल में न्यायमूर्ति कलीफुल्लाह केअलावा अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता विशेषज्ञ वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। अधिकतर हिन्दू पक्षकारों का कहना था कि मध्यस्थता के जरिए मामले का समाधान नहीं निकल सकता। लिहाजा अदालत को मेरिट के आधार पर सुनवाई करनी चाहिए। मालूम हो कि शीर्ष अदालत में यह मामला पिछले नौ सालों से लंबित है।