दिल्ली। राज्यसभा का 249वां सत्र बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और इस सत्र के दौरान तीन तलाक संबधित विधेयक तथा जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के प्रावधान सहित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारपंरिक संबोधन में कहा कि पिछले 17 साल में सबसे अधिक विधायी कामकाज तथा सबसे अधिक बैठकें इस सत्र में हुईं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे।
लोकसभा चुनाव के बाद राज्यसभा का यह पहला सत्र था और इस दौरान 2019-20 का आम बजट, राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव, तीन तलाक संबंधी विधेयक, आरटीआई कानून में संशोधन संबंधी विधेयक, अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करने संबंधी संकल्प, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक समेत कुल 32 विधेयक पारित किए गए।
सत्र के दौरान जहां कई नए सदस्यों ने उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली वहीं सपा और कांग्रेस के कई सदस्यों ने इस्तीफा भी दिया। इन सदस्यों में सपा के नीरज शेखर, संजय सेठ और सुरेंद्र नागर तथा कांग्रेस के संजय सिंह और भुवनेश्वर कालिता शामिल हैं।
राज्यसभा में सुषमा स्वराज को दी श्रद्धांजलि, नायडू को इस बार राखी नहीं बंधवा पाने का अफसोस
राज्यसभा में बुधवार को पूर्व विदेश मंत्री एवं उच्च सदन की पूर्व सदस्य सुषमा स्वराज के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी और उनके योगदान का स्मरण किया गया। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सुषमा उन्हें हर साल राखी बांधने आती थीं किंतु इस बार वह रक्षाबंधन पर नहीं आ पाएंगी जिसका उन्हें अफसोस है।
बैठक शुरू होते ही सभापति नायडू ने सदन को स्वराज के निधन की जानकारी देते हुए कहा, नियति ने उन्हें हमारे बीच से उठा लिया। उन्होंने कहा कि वह तीन बार अप्रैल 1990 से अप्रैल 1996, फिर अप्रैल 2000 से अप्रैल 2006 तथा उसके बाद अप्रैल 2006 से मई 2009 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं। साथ ही वह चार बार लोकसभा की भी सदस्य रहीं।
उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज 1977 में हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गयी थीं। बाद में वह केन्द्र में विदेश मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री और स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री भी रहीं। चार दशक के लंबे बेदाग राजनीतिक करियर के बाद उन्होंने स्वयं को राजनीतिक जीवन से अलग कर लिया जिसकी सभी वर्गों ने सराहना की थी। नायडू ने कहा कि विदेश मंत्री के रूप में सुषमा ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में संकट में फंसे भारतीयों को निकालने में सराहनीय भूमिका निभायी।
उन्होंने कहा कि वह 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा सरकार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनीं। वह लोकसभा में पहली महिला नेता प्रतिपक्ष बनीं। वह पहली महिला थीं जिन्हें असाधारण सांसद का खिताब मिला। वह 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह नरेन्द्र मोदी सरकार में पहली बार देश की पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनीं।