दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार दूसरे दिन भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद नियमित सुनवाई का फैसला किया है।
-न्यायालय ने पूछाः क्या दुनिया की किसी अदालत में बेथहेलम में ईसा मसीह के जन्म जैसे सवाल उठे और उन पर विचार किया गया।
-राम लाल विराजमान की ओर से परासरन ने कहाः मैं पता करूंगा और फिर बताऊंगा।
लंच से पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से जमीन पर कब्जे के कागजी सबूत मांगे थे, सुप्रीम कोर्ट ने अखाड़े से पूछा कि क्या आपके पास अटैचमेंट से पहले रामजन्मभूमि पर मालिकाना हक का कोई कागजी सबूत या रेवेन्यू रिकॉर्ड हैं?
इसपर निर्मोही अखाड़े ने जवाब दिया कि 1982 में हुई डकैती में सारे रिकार्ड गायब हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से कहा कि आप दस्तावेज तैयार करें। हम आपको बाद में सुनेंगे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि निर्मोही अखाड़ा अपना दावा साबित करने के लिये मौखिक, दस्तावेजी साक्ष्यों के मामले में पूरी तरह तैयार नहीं है। अब राम लाल विराजमान की ओर से दलीलों पर वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन सुनवाई शुरू कर चुके हैं।
बता दें कि निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को मजबूती के साथ सुप्रीम कोर्ट में विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर दावेदारी पेश की और तर्क दिया कि 1934 से मुस्लिमों का उस स्थान पर प्रवेश नहीं हुआ है।
मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
पीठ ने पिछले शुक्रवार को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था। इस समिति की अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे थे। समिति चार महीने की कोशिश के बावजूद किसी सर्वमान्य अंतिम नतीजे पर पहुंच नहीं पाई थी।