राहुल गांधी के वफादार, जिन्होने अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार का किया समर्थन

0
66


दिल्ली। जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले पर कांग्रेस में अब तक एकरूपता देखने को नहीं मिला। यहां तक कि इतने बड़े और ज्वलंत मुद्दे पर देश की सबसे पुरानी पार्टी अपना दृष्टिकोण तक स्पष्ट नहीं कर पाई।
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने का निर्णय लिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। केंद्र के इस फैसले के समर्थन में ‘टीम राहुल‘ के कई सदस्यों ने बयान दिया। जबकि संसद में कांग्रेस के एक धड़े ने इस बिल का विरोध किया। जिसका नेतृत्व सोनिया गांधी, गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चैधरी ने किया।

अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन करने वाले कांग्रेसी नेताओं ने इसकी वजह लोगों की भावनाओं को बताया। इसी मुद्दे पर बुलाई गई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी अधिकतर युवा नेताओं ने अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थन में आवाज उठाई जबकि पुराने नेताओं ने इसका विरोध किया।

आने वाले दिनों में हो सकता है कि भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की वैचारिक और राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व इन्हीं नेताओं में से किसी एक मिले जिन्होंने अनुच्छेद 370 पर पार्टी लाइन के खिलाफ बयान दिए। इस सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, दीपेंद्र हुड्डा, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, ज्योति मिर्धा, रणजीत रंजन और अदिति सिंह शामिल हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर लिखा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूँ। संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नही होते। लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित मे लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं।

अनुच्छेद 370 को समाप्त करने पर मिलिंद देवड़ा ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में शांति और विकास की खातिर, मुझे उम्मीद है कि यह निर्णय विमुद्रीकरण की तुलना में अधिक अनुकूल है

कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरी राय में आज की स्थिति में धारा 370 अधिक प्रासंगिक नहीं है। जब यह अनुच्छेद लाया गया था तब नेहरू जी ने कहा था कि यह अस्थाई है। मुझे लगता है कि देश की एकता और कश्मीरियों के विकास के लिए, यह सही निर्णय है।

LEAVE A REPLY