आईएएस अधिकारी के इस्तीफे के बहाने प्रियंका का मोदी सरकार पर निशाना

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दिल्ली। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने साल 2012 बैच के आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथ के इस्तीफा के बहाने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अधिकारी से संबंधित एक खबर अपने ट्विटर पर साझा करते पोलैंड के कवि और लेखक टेश्वाथ मिवोश की लाइन को दोहराया है। बता दें कि कन्नन ने अभिव्यक्ति की संवतंत्रता की बात कहते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा पद से इस्तीफा दे दिया है।

प्रियंका ने ट्वीट किया कि 8 दिसंबर, 1980 को पोलैंड के कवि और लेखक टेश्वाथ मिवोश (Czeslaw Milosz) ने लिखा था कि किसी कमरे में जहां सभी लोग सर्वसम्मति से चुप रहने का षड्यंत्र किए बैठे हों, सत्य का एक शब्द पिस्तौल दागने-जैसी आवाज करता है।’’

बता दें केरल के रहने वाले कन्नन इन दिनों केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे। उन्होंने कहा कि वह सिविल सेवा में इस उम्मीद से शामिल हुए थे कि वह उन लोगों की आवाज बन सकेंगे जिन्हें खामोश कर दिया गया लेकिन यहां, वह खुद की आवाज गंवा बैठे। उन्होंने कहा कि वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वापस चाहते हैं। वह अपनी तरह से जीना चाहते हैं, भले ही वह एक दिन के लिए ही हो।

कन्नन इन दिनों पावर एंड नॉन कन्वेंशनल ऑफ एनर्जी में सचिव पद पर कार्यरत थे। कहा जा रहा है कि कश्मीर कैडर के आईएएस अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में आईएएस से इस्तीफा देने वाले वह दूसरे आईएएस अधिकारी हैं। चर्चा है कि वह मौजूदा प्रशासनिक कार्यशैली से नाखुश थे। हालांकि उन्होंने अपने त्यागपत्र में इसे लेकर कुछ लिखा नहीं है। 2012 सिविल सेवा परीक्षा में कन्नन ने 59वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की थी। आईएएस बनने से पहले वह एक निजी कंपनी में डिजाइन इंजीनियर थे।

अप्रत्यक्ष रूप से कश्मीर में पाबंदी को बताया इस्तीफा की वजह
एक मलयालम वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि आप मुझसे पूछें कि वह क्या कर रहे हैं तो जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक देश पूरे राज्य पर प्रतिबंधों का एलान कर दे और यहां तक लोगों के मूलभूत अधिकारों का भी उल्लंघन करें तो ऐसे में कम से उन्हें जवाब देने में समक्ष होना चाहिए कि वह अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। सवाल उनके इस्तीफा देने का नहीं है बल्कि वह कैसे नहीं कर सकते हैं, का है।

उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफा का कोई असर नहीं होगा लेकिन जब देश मुश्किल घड़ी से गुजर है, तब यदि कोई उनसे पूछे कि उन्होंने क्या किया तो वह यह नहीं कहना चाहेंगे कि उन्होंने छुट्टी ली और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए। इससे बेहतर है नौकरी छोड़ना।

केरल बाढ़ के दौरान आए थे चर्चा में
कन्नन वर्ष 2018 में केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान सुर्खियों में आए थे। उन्होंने अपने कंधे पर राहत सामग्री रखकर लोगों तक पहुंचाई थी। उनके इस काम की देशभर में सराहना हुई थी। इसके अलावा लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से मौजूदा केंद्र शासित प्रदेश के बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी, कि उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें सिलवासा के कलेक्टर पद से हटा दिया गया था। सिलवासा कलेक्टर रहते हुए उन्होंने काफी सराहनीय कार्य किए थे।

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