खास बातें
-भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने सरप्लस रिजर्व में से 1.76 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देगा।
-आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है।
-कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट करते हुए सरकार पर हमला बोला है।
दिल्ली। राहुल ने ट्वीट कर कहा है, ‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को कोई खबर नहीं है कि स्व-निर्मित आर्थिक आपदा को कैसे हल करना है।’
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने सरप्लस रिजर्व में से 1.76 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देगा। आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। अब इसी खबर के बाद से विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट करते हुए सरकार पर हमला बोला है।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए।’ राहुल ने दावा किया कि आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है। यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है।
इससे पहले कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया है कि क्या इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा के पूंजीपति मित्रों (क्रोनी फ्रेंड्स) को बचाने के लिए होगा। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि क्या यह महज इत्तेफाक है कि आरबीआई से ली जा रही 1.76 लाख करोड़ रुपये की राशि बजट आकलन में श्गायबश् राशि के बराबर है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘क्या यह वित्तीय समझदारी है या फिर वित्तीय आत्महत्या है?’
सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘क्या इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा के पूंजीपति मित्रों (क्रोनी फ्रेंड्स) को बचाने के लिए होगा?’
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि आरबीआई से ‘प्रोत्साहन पैकेज’ लेना इस बात का सबूत है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने यह नहीं बताया कि इस पैसे इस्तेमाल कहां होगा।
बता दें आरबीआई से पैसे लेने के फैसले से सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई बोर्ड ने सोमवार को 1,76,051 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देने की मंजूरी दी है।
यह सिफारिश पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी। लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल इसके खिलाफ थे। इसी वजह से उन्होंने और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफा दे दिया था।
डिविडेंड के 95 हजार करोड़ मिलना तय
आरबीआई 2013-14 के बाद से अपनी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने लायक फंड) का 99 फीसदी सरकार को देता आ रहा है। जहां तक डिविडेंड का सवाल है, तो 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये में से 28 हजार करोड़ रुपये मार्च में ही अंतरिम डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए जा चुके हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 95,414 करोड़ रुपये डिविडेंड मिलना तय है। यह 1.76 लाख करोड़ के सरप्लस फंड के अलावा होगा।
विरल आचार्य ने अर्जेंटीना का उदाहरण देकर विरोध किया था
पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सरकार के कदम का विरोध करते समय अर्जेंटीना का उदाहरण दिया था। 6.6 बिलियन डॉलर सरकार को देने के दबाव में अर्जेंटीना सेंट्रल बैंक के गर्वनर मार्टिन रेडरेडो ने भी इस्तीफा दे दिया था। बाद में सरकार को फंड मिल गया। इसके कुछ महीने बाद ही अर्जेंटीना के बॉन्ड, करेंसी और स्टॉक मार्केट धराशायी हो गए।
तीन से पांच साल में मिलेगा पैसा
यह पैसा सरकार को आरबीआई से तीन से पांच साल के बीच में मिलेगा। कॉन्टिजेंसी फंड, करेंसी तथा गोल्ड रिवैल्यूएशन अकाउंट को मिलाकर आरबीआई के पास 9.2 लाख करोड़ रुपये का रिजर्व है, जो केंद्रीय बैंक के टोटल बैलेंस शीट साइज का 25 फीसदी है।
बैंकों को मिलेगी मदद
सरकार को इस फंड से बैंकों को मदद करने में आसानी होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे बाजार में 5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। सरकार ने बजट में रिजर्व बैंक के लिए 90 हजार करोड़ का डिविडेंड प्रस्तावित किया था जबकि पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने डिविडेंड के तौर पर 68 हजार करोड़ रुपये चुकाए थे।
यह लोग थे समिति में शामिल
आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान के अलावा इस समिति में पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, वित्त सचिव राजीव कुमार, केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन और सेंट्रल बोर्ड के दो सदस्य भरत दोशी और सुधीर मनकड़ भी शामिल हैं।