लखनऊ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बिजली के दाम बढ़ने को लेकर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि पहले महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ और अब महंगी बिजली की मार, उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार आम जनता की जेब काटने में लगी है। क्यों?
प्रियंका गांधी ने निशाना साधते हुए लिखा कि खजाने को खाली करके भाजपा सरकार अब वसूली, जनता पर महंगाई का चाबुक चला कर रही है। कैसी सरकार है ये?।
इससे पहले मंगलवार रात को बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिजली दरें बढ़ाने को प्रदेश की भाजपा सरकार का जनविरोधी फैसला बताया है। उन्होंने बढ़ाई गई दरों पर तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।
मायावती ने बिजली दरें बढ़ाने को लेकर ट्विटर पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार का बिजली दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों मेहनतकश जनता पर महंगाई का बोझ और बढ़ जाएगा। जनता का जीवन और अधिक कष्टदायी होगा। उन्होंने बढ़ाई गई दरोंपर तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।
निकाय प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है। प्रदेश में बिजली 12 फीसदी तक महंगी हो गई है। शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को अब फिक्स चार्ज के रूप में 10 रुपये प्रति किलोवाट अतिरिक्त के साथ-साथ 50-60 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। अनमीटर्ड ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 25 फीसदी की वृद्धि की गई है।
यही नहीं किसानों, कॉमर्शियल व औद्योगिक उपभोक्ताओं पर भी बोझ बढ़ा है। अलबत्ता उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा 4.28 फीसदी रेग्युलेटरी सरचार्ज पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। नोएडा पावर कंपनी लि. (एनपीसीएल) में भी रेगुलेटरी सरचार्ज खत्म कर दिया गया है। बिजली की नई दरें 11 या 10 सितंबर से लागू होने की संभावना है।
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने मंगलवार को 2019-20 का टैरिफ आर्डर जारी करते हुए नई दरों का एलान कर दिया। आयोग की ओर से जारी टैरिफ आर्डर के अनुसार सभी श्रेणी की दरों में कुल मिलाकर औसतन 11.69 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। आयोग की ओर से 4.28 फीसदी रेगुलेटरी सरचार्ज खत्म कर दिए जाने के बाद दरों में बढ़ोतरी 7.41 प्रतिशत ही होती है।
दरें बढ़ाने के पीछे आयोग का तर्क है कि रेलवे, लिफ्ट इरीगेशन जैसे तमाम बड़े उपभोक्ताओं के ओपेन एक्सेस में स्थानांतरित हो जाने, रूफटॉप सोलर, बिजली खरीद लागत में वृद्धि, बिजलीघरों का कम प्लांट लोड फैक्टर, प्रतिवर्ष कोयले की कीमतों तथा ढुलाई चार्ज में साल दर साल हो रही वृद्धि के दरों में इजाफा करने की आवश्यकता पड़ रही है।
आयोग के मुताबिक उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने की लागत 7.35 रुपये प्रति यूनिट आ रही है, जबकि इसके एवज में औसत वसूली 6.42 रुपये प्रति यूनिट है। दरें बढ़ाने के बाद आपूर्ति लागत और उसके एवज में मिलने वाले राजस्व में 93 पैसे प्रति यूनिट का अंतर है। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में गांवों में बहुत सस्ती बिजली देना संभव नहीं है, इसलिए दरें बढ़ाना जरूरी हो गया था।
ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को देना होगा 100 रुपये ज्यादा
टैरिफ ऑर्डर के मुताबिक, गांवों में घरेलू अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को अब 400 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह के स्थान पर 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह के हिसाब से बिल का भुगतान करना पड़ेगा। मीटरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए अनमीटर्ड श्रेणी की दरें ज्यादा बढ़ाई गई हैं। अनमीटर्ड किसानों को अब 150 रुपये प्रति हार्स पावर प्रतिमाह के बजाय 170 रुपये प्रति हार्स पावर की दर से भुगतान करना पड़ेगा।
फिक्स चार्ज भी बढ़ा, दरें भी
ग्रामीण क्षेत्रों के मीटर्ड उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 80 से बढ़ाकर 90 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह तथा विद्युत मूल्य 3.00 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 3.35 रुपये प्रति यूनिट किया गया है। 100 यूनिट तक 3.35 की दर रहेगी। 100 यूनिट से ऊपर 3.85 से 6.00 रुपये प्रति यूनिट की दर अलग-अलग स्लैब के लिए तय की गई है।
मीटर्ड निजी नलकूप उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 60 से बढ़ाकर 70 रुपये प्रति प्रति हार्सपावर प्रतिमाह तथा विद्युत मूल्य 1.75 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 2.00 रुपये प्रति यूनिट तय किया गया है। ग्रामीण व शहरी कामर्शियल बिजली की दरें भी बढ़ाई गई हैं। इसमें फिक्स चार्ज लेकर विद्युत मूल्य तक में वृद्धि की गई है।