खास बातें
-विक्रम सही-सलामत, उसके जीवन में अब भी है वसंत की उम्मीद
-विक्रम से संपर्क के लिये हो रही हरसंभव कोशिश
– अगर एंटीना का रुख ऑर्बिटर की ओर होगा तो संचार जुड़ सकता है
बंगलूरू। देश के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर उम्मीदें अभी कम नहीं हुई हैं। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद की सतह पर मौजूद विक्रम सही सलामत है और वह क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। वह सतह पर एक तरफ झुका हुआ पड़ा है। वहीं इसरो ने आज ट्वीट कर कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का पता तो लगा लिया, लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसरो ने लिखा, ‘लैंडर से संपर्क स्थापित करने की सारे संभव प्रयास किए जा रहे हैं।’
एक वैज्ञानिक ने कहा कि हम विक्रम से संपर्क करने की लगातार हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। अभी हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। चांद की सतह से महज 2.1 किमी दूर रहने के दौरान ही लापता विक्रम को इसरो ने एक दिन पहले ही खोज निकाला था। विक्रम को सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, मगर उसे हार्ड लैंडिंग का शिकार होना पड़ा।
वहीं, इसरो के एक और वैज्ञानिक ने कहा, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने जो तस्वीरें भेजी हैं, उससे यह पता चला है कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी। इससे विक्रम में कोई टूट-फूट नहीं हुई है। मेरा मानना है कि विक्रम से अब भी संपर्क हो सकता है।
विक्रम के जीवन में फिर से वसंत आ सकता है। इसकी संभावना खारिज नहीं की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि हर चीज की अपनी सीमाएं होती हैं। हमें भूस्थिर कक्षा में लापता हुए अंतरिक्ष यान से फिर से संपर्क कायम करने का अनुभव है। हालांकि, विक्रम के मामले में संचालन की वैसी स्थितियां नहीं हैं। यह पहले से ही चांद की सतह पर पड़ा हुआ है। इसे दोबारा से पहले जैसा हिला-डुला नहीं सकते हैं।
एक और वैज्ञानिक ने कहा, विक्रम की स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। उससे संपर्क करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। उम्मीद कम होती जा रही है। अगर इसने सॉफ्ट लैंडिंग की होती तो इसकी सारी प्रणाली कार्य कर रही होती।
ऐसी स्थिति में तब हम इससे आसानी से संपर्क कर सकते थे। हालांकि, इसकी अब तक की स्थिति अच्छी है। एक और वैज्ञानिक ने बताया कि अगर विक्रम का एंटीना ग्राउंड स्टेशन या फिर ऑर्बिटर की ओर होगा तो उससे संपर्क की उम्मीद बढ़ सकती है।
इसरो का संकटमोचक बनेगा ऑर्बिटर, ऊर्जा पैदा करना कोई मुद्दा नहीं
मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक ने बताया, विक्रम का ऊर्जा का खपत करना कोई मुद्दा नहीं है। उसे यह ऊर्जा सौर पैनलों से ही मिल सकती हैं, जो उसके चारों ओर हैं और अपनी अंदरूनी बैटरियों से भी उसे यह ऊर्जा हासिल हो सकती है। उन्होंने बताया कि इसरो की एक टीम इसरो टेलीमेट्र्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क पर विक्रम से संचार कायम करने के काम में दिन-रात लगी हुई है।
इसरो का संकटमोचक बनेगा ऑर्बिटर
इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि चांद के आसमान में चक्कर काट रहे चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एजेंसी के लिए संकटमोचक जैसा है। ऑर्बिटर में इतना ईंधन है कि वह निर्बाध गति से अपने काम को सात साल तक बखूबी अंजाम देता रहेगा।
एजेंसी के वैज्ञानिक अब ऑर्बिटर के पहले से तय एक साल के कार्यकाल को बढ़ाकर सात साल तक करने जा रहे हैं, जिससे मिशन के बाकी उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। यह चंद्रमा के वजूद और उसके विकास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ऑर्बिटर पर लगा हाई रिजोल्यूशन वाला कैमरा किसी भी चंद्र मिशन में लगने वाले कैमरों में सबसे बड़ा (0.3 मीटर) है।
संपर्क की अब भी 70 फीसदी उम्मीदः नायर
इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने विक्रम की सलामती की जानकारी मिलने पर कहा कि विक्रम से दोबारा संपर्क साधे जाने की अब भी 70 फीसदी तक संभावना है। वहीं, वैज्ञानिक और डीआरडीओ के पूर्व संयुक्त निदेशक वीएन झा ने भी कहा कि किसी भी दिन विक्रम से इसरो केंद्र का संपर्क जुड़ सकता है।
इसरो ने बताया, सिवन का सोशल मीडिया पर कोई निजी अकाउंट नहीं
इस बीच, सोशल मीडिया पर इसरो प्रमुख के सिवन के नाम से चल रहे कई अकाउंट पर एजेंसी ने सफाई दी है। इसरो ने कहा है कि सोशल मीडिया पर सिवन के नाम और उनकी फोटो के साथ कई अकाउंट चल रहे हैं और सक्रिय हैं। सिवन का सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म पर कोई निजी अकाउंट नहीं है। इसलिए ऐसे सभी अकाउंट पर जारी सूचनाएं प्रमाणिक नहीं हैं।