बुलेटप्रूफ जैकेट, जो एके-47 जैसी घातक बंदूकों से निकलने वाली गोलियों से जान बचाने में सक्षम है। खास बात यह है कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने बुलेटप्रूफ जैकेट का मानक तैयार कर लिया है। इन बुलेटप्रूफ जैकेटों का करीब एक सौ देशों को निर्यात भी किया जा रहा है। यानी कई देशों के सैनिकों की जान बचाती है भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट।
नई दिल्ली : भारत ने तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति कर ली है। इन्हीं तकनीकों में से एक है बुलेटप्रूफ जैकेट, जो एके-47 जैसी घातक बंदूकों से निकलने वाली गोलियों से जान बचाने में सक्षम है।
खास बात यह है कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने बुलेटप्रूफ जैकेट का मानक तैयार कर लिया है। इन बुलेटप्रूफ जैकेटों का करीब एक सौ देशों को निर्यात भी किया जा रहा है। यानी कई देशों के सैनिकों की जान बचाती है भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट। खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए जो अंतरराष्ट्रीय मानक है, उससे उच्च गुणवत्ता का मानक तैयार किया गया है। विश्व में भारत चौथा देश है, जिसने बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए मानक तैयार किया है।
बुलेटप्रूफ जैकेट का वजन साढ़े सात से आठ किग्रा
इस जैकेट में बोरोन कार्बाइड के प्लेट लगाए गए हैं, जिसके कारण इसका वजन साढ़े सात से आठ किलोग्राम है। पहले बुलेटप्रूफ जैकेट दस से साढ़े दस किलो वजन का होता था। देश की सुरक्षा एजेंसियां करीब एक लाख 86 हजार ऐसे जैकेट खरीद रही हैं। पहले विदेश से बुलेटप्रूफ जैकेट की खरीद की जा रही थी, जिसका मूल्य एक लाख रुपये से अधिक हुआ करता था। अब सुरक्षा एजेंसियां एक जैकेट 35000 रुपये की दर से खरीद रही हैं।
दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में अर्धसैनिक बलों, आर्मी और राज्य की पुलिस के लिए मुहैया कराई जाने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट को लेकर एक बड़ा कदम उठाया था। यह कदम था इंडियन स्टैंडर्ड के आधार पर बुलेटप्रूफ जैकेट तैयार करना, जो भारत में पहली बार था। इसके तहत 6 लेवल की बुलेटप्रूफ जैकेट को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स यानी बीआईएस (BIS) के मानक के तहत तैयार करने का प्रावधान किया गया था। यह बुलेटप्रूफ जैकेट खतरनाक स्टील बुलेट को भी झेल पाने में सक्षम है। भारत में इससे पहले बुलेटप्रूफ जैकेट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस (NIS) अमेरिका के स्टैंडर्ड पर तैयार होती थी।
क्या काम करती है बुलेटप्रूफ जैकेट?
गोलियों से बचने के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट पहनी जाती है। आमतौर पर जब पुलिस और सैनिकों का आतंकियों, अपराधियों या दुश्मन देशों के सैनिकों से मुकाबला होता है तो वे इसे पहनते हैं। देश की बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी दुश्मन के हमले से सुरक्षित रहने के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट पहनती हैं। सुरक्षा की कई परतों वाली यह जैकेट तेज स्पीड से आने वाली गोलियों के असर को खत्म कर देती है। पुलिस और सैनिकों के लिए यह काफी कारगर हथियार है।
कैसे बनती है बुलेटप्रूफ जैकेट?
सबसे पहले केवलर नाम के फाइबर की रसायनों के एक घोल में कताई होती है और उसकी मदद से धागे की बड़ी-सी रील तैयार की जाती है। फिर उस धागे से बैलिस्टिक शीट (चादर) की कई परत तैयार की जाती है, जिनको आपस में मजबूती से सिलकर कई पैनल या प्लेट बनाए जाते हैं। फिर उन पैनलों को एक जैकेट में फिट किया जाता है। जैकेट में बैलिस्टिक पैनलों को फिट करने के लिए जेबें होती हैं।
कैसे काम करती है बुलेटप्रूफ जैकेट?
कोई जब सामने से गोली मारता है तो गोली पहले बैलिस्टिक पैनलों से टकराती है। इससे उसकी रफ्तार कम हो जाती है और वह छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर जाती है। फिर गोलियों की भेदने की क्षमता कम हो जाती है और जैकेट पहने हुए इंसान के शरीर के संपर्क में नहीं आ पाती। गोली के टुकड़ों में बिखरने के बाद उससे बड़ी मात्रा में निकलने वाली ऊर्जा को बैलिस्टिक प्लेट की दूसरी परत सोख लेती है। इससे बुलेटप्रूफ पहने इंसान को कम नुकसान पहुंचता है।