दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जेल अधीक्षक के खिलाफ जारी हुए गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने जेल अधिकारी के खिलाफ वारंट इसलिए जारी किया था क्योंकि उन्होने एक कैदी को अदालत के आदेश के बावजूद रिहा कर दिया था। अदालत ने कैदी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गुरुवार को इस मामले को न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना और अजय रस्तोगी की पीठ के सामने उल्लेख किया गया था।
जेल अधिकारी की तरफ से पेश हुए वकील ने अदालत से कहा कि वह अदालत के आदेश के अनुसार 23 सितंबर को पेश होंगे लेकिन तब तक उनके वारंट पर रोक लगाई जानी चाहिए। जिससे कि अदालत ने इनकार कर दिया। पीठ ने जेल अधिकारी के वकील से कहा, ‘उन्हें अदालत के सामने आने दीजिए।’ वकील ने इस बात को माना कि अधिकारी से गलती हुई है और उन्होंने दोबारा अदालत से अनुरोध किया कि उनके खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगाई जाए।
इसपर न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि नहीं उन्हें आने दीजिए। तब तक कुछ नहीं होगा। आप इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि आपने गलती की है। मैं अपना आदेश बदलने वाला नहीं हूं। इससे पहले न्यायमूर्ति रमन्ना ने जेल अधीक्षक के खिलाफ अवमानना याचिका स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।