1964 में प्रकाशित किताब ‘लाइफ ऑफ टीपू सुल्तान’ में कहा गया है कि सुल्तान ने मालाबार क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं और 70,000 से ज्यादा ईसाइयों को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया. इस किताब के अनुसार धर्म परिवर्तन टीपू सुल्तान का असल मकसद था, इसलिए उसने इसे बढ़ावा दिया. जिन लोगों ने इस्लाम स्वीकार किया, उन्हें मजबूरी में अपने बच्चों की शिक्षा भी इस्लाम के अनुसार देनी पड़ी. इनमें से कई लोगों को बाद में टीपू सुल्तान की सेना में शामिल किया गया और अच्छे ओहदे दिए गए.
नई दिल्ली (एजेंसीज) : टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर फिर विवाद बढ़ गया है. बीजेपी टीपू सुल्तान को अत्याचारी बता रही है. बीजेपी नेता केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कहा कि टीपू सुल्तान से संबंधित किसी कार्यक्रम में उनको ना बुलाया जाए. पिछले कुछ सालों में टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर हंगामा खड़ा होता रहा है. आइए जानते हैं क्यों होता है जयंती पर विवाद और सुल्तान पर क्या आरोप लगते रहे हैं. टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर फिर विवाद बढ़ गया है. बीजेपी टीपू सुल्तान को अत्याचारी बता रही है.
बीजेपी नेता केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कहा कि टीपू सुल्तान से संबंधित किसी कार्यक्रम में उनको ना बुलाया जाए. पिछले कुछ सालों में टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर हंगामा खड़ा होता रहा है. आइए जानते हैं क्यों होता है जयंती पर विवाद और सुल्तान पर क्या आरोप लगते रहे हैं…पिछले साल भी हेगड़े ने टीपू सुल्तान की जयंती का विरोध किया था. उन्होंने आरोप लगाया है कि टीपू सुल्तान अत्याचारी था और उसने हजारों हिंदुओं का कत्ल और काडागू के लोगों पर अत्याचार किया था. साथ ही इसे कांग्रेस का चुनावी खेल बताया जा रहा है, हालांकि कांग्रेसी टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी बता रहे हैं.
साल 2015 में आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य में भी टीपू सुल्तान की जयंती के विरोध में टीपू को दक्षिण का औरंगजेब बताया गया है, जिसने जबरन लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया. लेख में कहा गया था कि हिंदू संगठन दावा करते हैं कि टीपू धर्मनिरपेक्ष नहीं था बल्कि एक असहिष्णु और निरंकुश शासक था. वह दक्षिण का औरंगजेब था जिसने लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया और बड़ी संख्या में मंदिरों को गिराया.
19वीं सदी में ब्रिटिश गवर्मेंट के अधिकारी और लेखक विलियम लोगान ने अपनी किताब ‘मालाबार मैनुअल’ में लिखा है कि कैसे टीपू सुल्तान ने अपने 30,000 सैनिकों के दल के साथ कालीकट में तबाही मचाई थी. टीपू सुल्तान ने पुरुषों और महिलाओं को सरेआम फांसी दी और उनके बच्चों को उन्हीं के गले में बांध पर लटकाया गया. इस किताब में विलियम ने टीपू सुल्तान पर मंदिर, चर्च तोड़ने और जबरन शादी जैसे कई आरोप भी लगाए हैं.
यहां 1964 में प्रकाशित किताब ‘लाइफ ऑफ टीपू सुल्तान’ में कहा गया है कि सुल्तान ने मालाबार क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं और 70,000 से ज्यादा ईसाइयों को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया. इस किताब के अनुसार धर्म परिवर्तन टीपू सुल्तान का असल मकसद था, इसलिए उसने इसे बढ़ावा दिया. जिन लोगों ने इस्लाम स्वीकार किया, उन्हें मजबूरी में अपने बच्चों की शिक्षा भी इस्लाम के अनुसार देनी पड़ी. इनमें से कई लोगों को बाद में टीपू सुल्तान की सेना में शामिल किया गया और अच्छे ओहदे दिए गए.
आरएसएस के कार्यकर्ता वी नागराज ने कहा था कि 1886 में टीपू सुल्तान के पोते गुलाम मोहम्मद ने हैदर अली खान बहादुर और टीपू सुल्तान के जीवन पर एक किताब लिखी थी. यह 1886 में छपी थी और इसे दोबारा 1976 में छापा गया. इसमें उनके पोते ने बताया कि टीपू सुल्तान के इस्लाम के लिए क्या नहीं किया. विपक्ष के बीच ठन गई थी. टीपू सुल्तान की जयंती को विरोध हिंसक हो गया था. साथ ही लाठीचार्ज में कर्नाटक के कुडकू में वीएचपी के संयोजक की मौत हो गई.