राजस्थान के नागौर जिले के सुखवासी गांव में जन्मे हिम्मताराम भाम्भू राजस्थान में जगह-जगह जाकर लोगों को जंगलों को बचाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा देते हैं. साथ ही वन्य जीवों की रक्षा एवं पशु क्रूरता के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.
हिम्मताराम भाम्भू ने पिछले 30 वर्षों में 5 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं, जिनमें से साढ़े तीन लाख पौधे आज पेड़ बन चुके हैं. भाम्भू ने हरिमा गांव के पास 25 बीघा जमीन खरीदी और 11 हजार पौधे लगाकर जंगल का रूप दिया. जिससे लोगों को पर्यावरण के महत्व को बता सकें. उन्होंने यहां पर पर्यावरण प्रदर्शनी भी बना रखी है.
भाम्भू ने पर्यावरण के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी कार्य किया है. वे रोजाना एक हजार पशु-पक्षियों को 20 किलो दाना खिलाते हैं. वे नशे के खिलाफ भी काम करते हैं. वन विभाग से ज्यादा सक्रिय रहकर शिकारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और कोर्ट में मुकदमे भी खुद के खर्चे से लड़ते हैं.
एक छोटे पीपल का पेड़ लगाने से शुरू हुआ हिम्मताराम का सफर आज पूरे राजस्थान में फैल चुका है. वे राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार – 2014 से भी सम्मानित किए जा चुके हैं. भाम्भू ने बताया कि मूक पशु-पक्षियों की सुरक्षा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में जो काम किया है, उसी का फल है कि मुझे पद्मश्री पुरस्कार चयनित किया गया है.