नई दिल्ली (एजेंसीज) : हिमाचल प्रदेश के इतिहास में गुरुवार को बहुत बड़ा घटनाक्रम उस वक्त घटा, जब हिमाचल निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार के पौत्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर के नाती चेतन परमार ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। इस घटनाक्रम से न केवल जिला सिरमौर, बल्कि समूचे प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गई है। पूर्व में भले ही मंडी से पंडित सुखराम के परिवार ने भाजपा ज्वाइन की, लेकिन यह पहली बार हुआ है कि हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के दो-दो मुख्यमंत्रियों की तीसरी पीढ़ी ने भाजपा का दामन थामा हो।
यशवंत सिंह परमार न केवल हिमाचल निर्माता रहे हैं, बल्कि वह हिमाचल में कांग्रेस के फाउंडर भी रहे हैं। गुरुवार को जिला मुख्यालय नाहन में डा. यशवंत सिंह परमार के पौत्र एवं पूर्व विधायक कुश परमार तथा वर्तमान में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष सत्या परमार के बेटे ने अपने सहयोगियों के साथ भाजपा ज्वाइन की। इस अवसर पर चेतन परमार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने परमार परिवार को खत्म करने की साजिश रची। इस साचिश के तहत वीरभद्र सिंह ने कभी भी परमार परिवार को अहमियत नहीं दी। कुश परमार पांच बार विधायक बने हैं, लेकिन उन्हें वीरभद्र सिंह ने कभी भी न तो मंत्री पद दिया और न ही सीपीएस बनाया।
हैरत तो यह है कि हिमाचल निर्माता के परिवार को वीरभद्र सिंह व कांग्रेस ने कभी संगठन में भी सम्मान नहीं दिया। चेतन परमार ने बताया कि उनके पिता कुश परमार ने पहली बार 1982 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज कर इतिहास रचा। इस अवसर पर भाजपा के प्रमुख प्रवक्ता डा. राजीव बिंदल ने चेतन परमार का पार्टी में शामिल होने पर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डा. वाईएस परमार न केवल जिला सिरमौर, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं, लेकिन विडंबना यह है कि कांग्रेस द्वारा हिमाचल निर्माता के परिवार को ही हाशिए पर रखा गया।
परिवार की सहमति
चेतन परमार ने बताया कि कांग्रेस पार्टी में परिवार को तवज्जो न मिलने के चलते उन्होंने मजबूरी में यह कदम उठाया है। उन्होंने परिवार की सहमति से ही भाजपा में शामिल होने की घोषणा की है। उनके साथ कांग्रेस प्रचार कमेटी के संयोजक अरुण भाटिया ने भी भाजपा में शामिल होने की घोषणा की।