नई दिल्ली (एजेंसीज) : देश में राम मंदिर मुद्दे पर जारी बहस में मंगलवार को एक और कड़ी जुड़ गई। अयोध्या विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने के पैरोकार श्री श्री रविशंकर की कथित मध्यस्तता पर भी विवाद चल रहा है। इसी बीच मंगलवार को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने मुलाकात की। इस मसले पर दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। मुलाकात के बाद रिजवी ने मंदिर को विवादित भूमि में बनाए जाने के अपने पूर्व के बयान को दोहराया। उन्होंने दावा किया कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है और 2018 में अयोध्या में मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।
अयोध्या में ही बनना चाहिए मंदिर
सूत्रों की माने तो रविशंकर से मुलाकात में वसीम रिजवी ने कहा कि राम मंदिर फैजाबाद जिले के अयोध्या शहर में राम जन्मभूमि पर ही बनना चाहिए। शिया वक्फ बोर्ड भी इस मामले में पार्टी हैं, क्योंकि बाबरी मस्जिद शिया मस्जिद थी। इतने सालों तक चुप्पी साधे रखने के सवाल पर रिजवी ने कहा, ‘हम इतने दिन खामोश रहे, इसका मतलब नहीं है कि हमारा अधिकार नहीं है।
मुल्लाओं ने मामले को बना दिया विवादित
वसीम का मानना है कि राम मंदिर का निर्माण कहां हो इस पर विवाद है ही नहीं। इसे तो कुछ मुल्लाओं ने विवादित बना दिया है। ऐसे मुल्लाओं को छोड़कर देश का हर आवाम विवादित स्थल पर मंदिर स्वीकार करने के लिए सहमत है। आवाम कत्लेआम नहीं चाहती है। उन मुल्लाओं की हमें फिक्र नहीं है, जो फसाद की बात करते हैं। ऐसे लोगों की कानूनन कुछ भी हैसियत नहीं है। पूरे देश का मुसलमान हिंसा नहीं चाहता है। इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए।