नई दिल्ली (एजेंसीज) : मुंबई को सैंट पीटर्सबर्ग से जोड़नेवाला अंतर्राष्ट्रीय उत्तर -दक्षिणी परिवहन गलियारा (INSTC) महीने के मध्य से संचालित होनेवाला है। इस गलियारे से पहली खेप भारती की ओर से रूस को मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर चीन को टक्कर देने के लिए पिछले 17 सालों से इस प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है। भारत के लिए ईरान के चाह्बहार बन्दरगाह के बाद मध्य एशिया और उसके बाजार तक पहुंचने का यह दूसरा सुगम मार्ग होगा।
मामले के एक जानकार के मुताबिक, हालांकि INSTC का औपचारिक उद्घाटन जनवरी के मध्य महीने में होगा, लेकिन इस पर पूरी तरह आवाजाही अगले कुछ महीनों के बाद ही हो पाएगी। अधिकारियों ने बताया कि कॉरिडोर को सभी पहलुओं से दुरुस्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहा है। बताया जा रहा है कि रूस का एक रेलवे ऑपरेटर इस प्रॉजेक्ट में अहम भूमिका निभाएगा। भारत, ईरान और रूस ने सितंबर 2000 में INSTC अग्रीमेंट पर दस्तखत किया था। इसके तहत हिंद महासागर ओर फारस की खाड़ी को ईरान और सैंट पीटर्सबर्ग के रास्ते कैस्पियन सागर से जोड़ते हुए सबसे छोटा बहुआयामी परिवहन मार्ग तैयार किए जाने पर सहमति बनी थी। रसियन फेडरेशन के जरिए उत्तरी यूरोप तक सहज पहुंच हो जाएगी। इस कॉरिडोर की अनुमानित क्षमता प्रति वर्ष 2 से 3 करोड़ टन वस्तुओं की ढुलाई की है।
INSTC की कल्पना चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव (BRI) से पहले की गई थी। इससे न केवल भारत से ईरान के रास्ते रूस और यूरोप तक सामान की ढुलाई की लागत और वक्त कम होगा, बल्कि यूरेशियाई क्षेत्र से संपर्क का एक विकल्प भी मिलेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव की खुली आलोचना करते हुए कहा कि INSTC से न केवल भारत की लागत कम होगी, बल्कि यूरेशियाई देशों तक हमारा संपर्क भी सुगम हो जाएगा।
एक्सपर्ट्स ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि INSTC के साथ चाबहार बंदरगाह (जिसके पहले चरण का उद्घाटन रविवार 3 दिसंबर 2017 को हुआ) का संचालन यूरेशियन रीजन में भारत के रणनीतिक और आर्थिक लक्ष्यों के लिहाज से गेमचेंजर साबित होगा जहां चीन अपने भौगोलिक निकटता का फायदा उठाता रहा है। उनका कहना है कि संपर्क के ये रास्ते भारत के लिए अवसरों का अथाह समुद्र खोल देंगे। भारत यूरेशियन रीजन में रूस के साथ साझेदारी से आर्थिक परियोजनाओं पर भी काम करने पर विचार कर सकता है।
एक अधिकारी ने कहा कि INSTC को ईरान के बांदर अब्बास पोर्ट के अलावा चाबहार पोर्ट से भी जोड़ा जा सकता है। उनके मुताबिक, भारत को उम्मीद है कि INSTC मध्य एशियाई और अन्य यूरेशियाई देशों में चल रहे विभिन्न कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स के साथ भी जुड़ सकता है।