अयोध्या (एजेंसीज) : राम भक्तों के दिल आज भी जख्मों से भरें हैं। उन्हें आज भी याद है कि कैसे मुलायम सिंह की सरकार ने कथित रुप से निर्दोष हजारों हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया था। उनका सिर्फ यह कसूर था कि वे अपने राम लला से बहुत ही प्यार करते थे। उन्हें आज भी न्यायालय में बैठे लोगों की नियत पर शक है। उत्तर प्रदेश में लंबे अर्से के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनी है। इससे पहले, सपा और बसपा के शासनकाल में कोई मुख्यमंत्री अयोध्या नहीं गया। लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी 8 महीने में ही पांच बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। इससे यह तो अंदाजा लगता ही है कि अयोध्या सरकार के राजनीतिक एजेंडे में शामिल है।
अयोध्या में बाबरी विध्वंस के 25 साल गुजर चुके हैं, इस बीच सूबे की सरकारें बदलती रहीं, सियासी चालें चली जाती रहीं, लेकिन अयोध्या पहले भी शांत थी और आज भी शांत है। यहां के लोगों का मिजाज सरकारें भी नहीं बदल पाईं।
अयोध्या की पहचान बाहर राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद से ही होती है। लेकिन अयोध्या के पास इन दोनों के इतर और भी बहुत कुछ है कहने को। अयोध्यावासी अब इस विवाद को पीछे छोड़कर आगे बढऩा चाहते हैं।
बाबरी मुद्दे के मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा, जब छह दिसंबर आता है तो नेता सक्रिय हो जाते हैं और फिर इसके बाद मुद्दे पर सभी चुप्पी साध लेते हैं। अब इस मामले में फैसला हो ही जाना चाहिए। लोग राजनीति करने के लिए इस मुद्दे को हल होने नहीं देना चाहते।
यह पूछने पर कि सर्वोच्च न्यायालय में शुरू हुई सुनवाई के बाद आपको क्या लगता है कि इस मुद्दे का हल हो जाएगा, इस पर उन्होंने कहा कि लोग इस मामले को निपटाना नहीं चाहते हैं। हकीकत यह है कि कोई नहीं चाहता कि अब यह मामला और आगे बढ़े। बहुत सारे दूसरे काम भी हैं। महज माहौल बनाने के लिए बीच-बीच में शिगूफा छोड़ दिया जाता है।
यहां के मंदिर-मस्जिद को लेकर दूसरे शहरों में तनाव दिखता है, लेकिन अयोध्या की बुनावट ऐसी है कि यहां दोनों समुदायों में कभी कोई तनाव नहीं रहा। विवादों के कारण अयोध्या नगरी की सूरत तो बदली, लेकिन इसका मिजाज नहीं बदला है। छह दिसंबर, 1992 के बाद बढ़े सुरक्षा इंतजामों से यहां के लोग परेशान जरूर हैं।
राम जन्मभूमि के आसपास के चौराहे आबाद होकर अब बाजार में तब्दील हो गए हैं। हनुमानगढ़ी से राम जन्मभूमि दर्शन मार्ग पर नई बाजार व राम गुलेला बाजार प्रमुख हैं। हनुमान गढ़ी और उसके आसपास की सड़कों पर दोनों तरफ दुकानें हैं।
चूडिय़ों की दुकानें, सिंदूर और चंदन की दुकानें, मूर्तियों की दुकानें, धार्मिक साहित्य की दुकानें, पूजन सामग्री की दुकानें हैं। अयोध्या की ख्याति भले ही हिंदू तीर्थस्थल की है, लेकिन मंदिरों में हर जाति के महंत हैं, तो सड़कों पर हर जाति व धर्म के दुकानदार अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। यहां राम लला के दर्शनों के लिए पहुंचे भृगुपंडित ने कहा कि उन्हें यहां पहुंकर बहुत ही निराशा व दुख होता है कि राम लला टैंट में रह रहे हैं। अब हिन्दुओं के सब्र का पैमाना भर गया है। उन्हें अब योगी सरकार से उम्मीद है। भृगुपंडत ने कहा कि वह इस मामल को
लेकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि राम लला का भव्य मंदिर शीघ्र बनाया जाए।
निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बनना सभी लोगों का सपना है, लेकिन इसका राजनीति के लिए इस्तेमाल किया गया है। यहां की आम जनता चाहती है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकल जाए और राम की अयोध्या में भी विकास हो।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार बनने के बाद यहां के विकास की आस जगी है। अयोध्या को नगर निगम वाले शहर का दर्जा मिल गया है, लेकिन यहां के हालात बदलने में अभी समय लगेगा।
इस बीच, हनुमान गढ़ी से आप राम जन्मभूमि की ओर चलेंगे तो खंडहरों और उजड़े मंदिरों की उदासी बढ़ जाती है। राम जन्मभूमि के आसपास कड़ी सैनिक सुरक्षा है। वहां विराजमान रामलला की सुरक्षा के लिए तीन अलग-अलग घेरे बनाए गए हैं। सीआरपीएफ की इस पर हर समय पैनी नजर रहती है।
यहां एक समय में पांच कंपनी सीआरपीफ के जवान व एक महिला कंपनी तैनात रहती है। आठ-आठ घंटे की ड्यूटी के लिहाज से यहां अर्धसैनिक बलों की 12 कंपनियां तैनात हैं। खुफिया कर्मियों की नजरें हर दर्शनार्थी पर टिकी रहती हैं।
राम जन्मभूमि के दर्शन मार्ग पर चाय बेचने वाले अशोक सैनी कहते हैं कि रात में यदि कोई बीमार हो जाए, तो उसे अस्पताल ले जाने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। सुरक्षा के कारणों से बाहर से गाडिय़ां नहीं आ सकतीं।
इसके साथ ही रामलला की व्यक्तिगत सुरक्षा में भी कमांडो तैनात हैं। पूरे 70 एकड़ के अधिग्रहीत परिसर में 13 वाच टावर एवं दो दर्जन के करीब मोर्चे हैं। दो बुलेटप्रूफ कारें भी मौजूद हैं।
इन क्षेत्रों में 14 कंपनी पीएसी के अलावा करीब सिविल पुलिस के डेढ़ हजार जवान तैनात हैं। पूरे रेड जोन में 44 सीसीटीवी कैमरे हैं। येलो जोन में भी 64 सीसीटीवी एवं आटो डोम कैमरे लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा बढऩे के बाद बढ़ी बंदिशों के कारण स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। राम जन्मभूमि आने वाले हर रास्ते पर बैरिकेडिंग है।
राम जन्मभूमि के करीब जलपान की दुकान चलाने वाले हरिराम सिंह यादव कहते हैं, बाजार तो गुलजार हुए हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अब भी अभाव है। रोडवेज बस अड्डा समाप्त हो जाने के कारण दिक्कत है। दर्शनार्थियों के लिए और सुविधाएं जुटाई जानी चाहिए। मेलों के दौरान कतार में लगे दर्शनार्थियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।