वित्त मंत्री ने आम बजट से व्यापारी, शिक्षक और युवाओं को साधने की कोशिश की है। इस बार का पूरा बजट शिक्षा, डिजिटल करेंसी, एजुकेशनल चैनल आदि पर आधारित रहा। इस बजट पर लोगों की मिलीजुली प्रक्रिया है।
कुछ लोग इस बजट को आम लोगों से जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ इसे चुनावी जुमला बता रहे हैं। शिक्षकों को इस बजट से उम्मीद थी कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कुछ फैसले लिए जाएंगे, लेकिन बजट सुनने के बाद उन्हें निराशा हाथ लगी है। वहीं व्यापारी वर्ग में भी बजट को लेकर असंतोष है। उनका कहना है कि बजट में व्यापारियों के लिए कुछ नहीं था।
बजट को लेकर ये है युवाओं का रुख
इस बार का बजट अन्य बार के बजट से राहत देने वाला रहा। भले ही ये चुनावी जुमला रहा हो लेकिन बजट में युवाओं की नौकरी के लिए तो कुछ विचार किया गया। बढ़ती बेरोजगारी के बीच ये बजट युवाओं को राहत देने वाला है।
-निशांत कुंजा, युवा
– इस समय बढ़ती बेरोजगारी के बीच बजट में 60 लाख नौकरियां नाकाफी है। जहां एक तरफ एक पद पर कई-कई हजार दावेदार होते हैं, वहां बेरोजगारी का आलम साफ दिखाई देता है। सरकार को बेरोजगारी खत्म करने के लिए बहुत ज्यादा करने की जरूरत है।
-मानसी सैनी, युवा
– सरकार शुरू से ही मेक इन इंडिया का नारा लगा रही है, लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। मध्यम वर्ग के युवाओं के लिए ये बजट कोई खास राहत पहुंचाने वाला नहीं है।
– बबीता नेगी, युवा
– वर्तमान में युवाओं की पहली जरूरत स्मार्ट फोन हो गई है। मोबाइल हर किसी की जरूरत है। ऐसे में इस बजट में मोबाइल चार्जर सस्ते करने का फैसला युवाओं के हित में है।
बजट में एक से 12 कक्षा के लिए पीएम ई-विद्या योजना को 12 चैनलों से 200 चैनलों तक विस्तारित करना एक क्रांति है। अब स्मार्ट फोन के अभाव में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी।
-अनु रावत, अभिभावक
छात्रों को विश्व स्तर की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से डिजिटल विश्वविद्यालय विकसित होंगे तो आने वाली पीढ़ी सशक्त और स्वावलंबी बनेगी। इसलिए बजट राहत देने वाला है।
-सुशील सैनी, अभिभावक