रविवार देर शाम कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को भाजपा ने 6 साल के लिए पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया और कैबिनेट से भी बर्खास्त कर दिया। हरक सिंह रावत के साथ विवादों का नाता रहा है। राजनीति में नेताओं के साथ कई तरह के मिथक भी चलते रहते है।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के साथ भी एक अजीब सा मिथक है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत कभी भी अपना मंत्री के तौर पर कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए इस बार भी हरक सिंह रावत अपने कार्यकाल से पहले ही कैबिनेट से रुखसत हो गए।
साल 2002 में नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में जैनी प्रकरण के दौरान हरक सिंह रावत को कैबिनेट के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बतौर कैबिनेट मंत्री अपना कार्यकाल तक पूरा नहीं कर पाए थे।
साल 2012 में विजय बहुगुणा के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से बगावत करने के बाद हरक सिंह रावत केबिनेट के पद को छोड़कर कांग्रेस से भाजपा में जाकर शामिल हो गए थे। कैबिनेट मंत्री के तौर पर तब भी उनका कार्यकाल अधूरा रह गया था।
एक बार फिर हरक सिंह रावत के कैबिनेट मंत्री के पद से बर्खास्त होने के बाद यह मिथक उनके साथ फिर से बरकरार हो गया है देखना है भविष्य में कब हरक सिंह बतौर मंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर पाते