कांग्रेस में हरीश रावत के ट्वीट प्रकरण के बाद जिस अंदाज में उन्होंने दिल्ली से उत्तराखंड में एंट्री की है, उससे उनके समर्थकों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया है। इलेक्शन कैंपेन कमेटी के चेयरमैन के रूप में फ्री हैंड का अधिकार लेकर दून लौटे हरीश ने काफी हद तक ट्वीट के मायने भी स्पष्ट भी किए तो कार्यकर्ताओं को इस उल्लास और उत्साह को परिणामों में बदलने का मंत्र भी दिया। उनके करीबियों की मानें तो अब स्पष्ट हो गया है, जिसके नेतृत्व में युद्ध लड़ा जाएगा, वही योद्धा कहलाएगा।
हरीश रावत की एंट्री के साथ ही पार्टी के भीतर एक गुट उत्साह से लबरेज है, वहीं दूसरे गुट ने वक्त की नजाकत को देखते हुए फिलहाल चुप्पी साध रखी है। सब साथ चलेंगे, सब साथ काम करेंगे का मंत्र लेकर लौटे हरीश रावत ने इसे दोहराया और मीडिया के माध्यम से साथ न चलने वालों को भी स्पष्ट संदेश दिया।
दूसरे धड़े की ओर से जोर देकर इस बात को बार-बार दोहराया जा रहा था, चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन अब हाईकमान से स्पष्ट कर दिया है, चुनाव हरीश रावत के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। सामूहिक से हरीश में परिवर्तित हुए इस एक शब्द का वाण उनके विरोधियों के लिए चुभने वाला हो सकता है, लेकिन हरीश समर्थकों के लिए यह किसी भी उत्साह के चरम पर पहुंचने जैसा ही है।
वहीं हरीश रावत ने एक माफी भी ट्वीट के जरिये मांगी,उन्होंने लिखा कि कल #pressconference में थोड़ी गलती हो गई, मेरा नेतृत्व शब्द से अहंकार झलकता है। चुनाव मेरे नेतृत्व में नहीं बल्कि मेरी अगुवाई में लड़ा जाएगा। मैं अपने उस घमंडपूर्ण उद्बोधन के लिए क्षमा चाहता हूं, मेरे मुंह से वह शब्द शोभा जनक नहीं है।