रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड के तप्तकुंड का तापमान सात से लेकर 10 डिग्री तक बढ़ गया है। यह 45 से 48 डिग्री के बीच रहता था, जो अब 55 डिग्री के करीब है। वहीं, स्रोत के स्राव में भी बढ़ोत्तरी हुई है। 40-60 एलपीएम का यह स्राव अब 80 एलपीएम पर जा पहुंचा है। स्राव बढ़ने का कारण दो तीन स्रोतों का जमीन के भीतर मिल जाना बताया जा रहा है।
तप्तकुंड का मूल स्रोत भी तल से 12 फीट नीचे पहुंच जाने की बात सामने आई है। दरअसल, डीएम ने तप्तकुंड के गर्म पानी की धाराओं और स्रोत के संरक्षण के लिए केंद्रीय जल आयोग और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के विशेषज्ञों की राय मांगी थी। जिसके बाद उन्होंने गौरीकुंड पहुंच सर्वे किया तो स्रोत के नीचे पहुंचने की बात सामने आई। लेकिन यहां की सारी धाराएं सुरक्षित थीं।
बता दें कि सन् 2017 में गौरीकुंड कस्बे की सुरक्षा और तप्तकुंड के पुनरूद्धार का जिम्मा सिंचाई विभाग, केदारखंड डिवीजन को सौंपा गया था। उसने सुरक्षा दीवार की बुनियाद तैयार करने के लिए काफी गहराई तक खुदाई की थी। लेकिन उस वक्त स्रोत को खतरा बता दिया गया था, जिसके बाद डीएम ने विशेषज्ञों से सलाह मांगी थी।
सवा तीन करोड़ का रिवाइज एस्टीमेट भेजा
तप्तकुंड को केदारनाथ पुनर्निर्माण का मास्टर प्लान तैयार कर रही फर्म के डिजाइन के आधार पर भव्य बनाया जाएगा। प्राकृतिक गर्म पानी के स्रोत के कुंड से प्रस्तावित स्नान कुंडों में पंप से पानी की सप्लाई और निकासी की जाएगी। तप्तकुंड के चारों ओर रंग बिरंगी लाइटों की व्यवस्था की जाएगी।
तीन करोड़, 57 लाख का रिवाइज एस्टीमेट भेजा
कार्यदायी संस्था गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) ने तप्तकुंड के लिए तीन करोड़, 57 लाख का रिवाइज एस्टीमेट उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद, देहरादून को भेजा है। बीते साल जारी 96 लाख रुपये से अवमुक्त 26 लाख रुपये में कुंड के चारों ओर कॉलम खड़े कर छत की स्लैब डाली गई है।
आपदा में ध्वस्त हो गया था तप्तकुंड
16-17 जून, 2013 की केदारनाथ आपदा में गौरीकुंड का तप्तकुंड ध्वस्त हो गया था। गर्म पानी को प्लास्टिक के पाइपों से संरक्षित कर नदी किनारे एकत्र करने की कोशिश की गई, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है।
गौरीकुंड स्थित तप्तकुंड के गर्म पानी के स्रोत की गर्माहट के साथ ही स्राव पहले से अधिक हो गया है। कुछ समय पूर्व पर्यटन सचिव भी यहां निरीक्षण कर चुके हैं।
-डीएस राणा, एई, जीएमवीएन