देश में कोरोना संकट के समय भी देवभूमि की महिलाएं चर्चा में हैं. चमोली जिले के गोचर की बुजुर्ग महिला देवकी भंडारी ने जब प्रधानमन्त्री केयर्स फंड में अपने जीवन की गाढ़ी कमाई की संचित पूंजी 10 लाख रुपये दान की तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनकी अद्वितीय दानवीरता की प्रशंसा की.
प्रधानमंत्री की अपील सुन 80 वर्षीय दर्शनी देवी के मन में भी जरूरतमंदों की सहायता का विचार आया तो पीएम-केयर्स में दान देने के लिए 10 किमी पैदल चलीं. वे अपने गांव से विकास खंड मुख्यालय पैदल पहुंची और और सहायता राशि का ड्राफ्ट बनवाया और प्रसन्न मुख मुद्रा के साथ पीएम-केयर्स में दान कर दिया.
अगस्त्यमुनि (रुद्रप्रयाग): देश कोरोना की मार से बेहाल है. देश के प्रधानमंत्री देश को बचाने के लिए जूझ रहे हैं ऐसे में अनेकों दानवीर उनकी अपील पर सहायता के लिए आगे आ रहे हैं. देश के नामीगिरामी लोग तो दान कर ही रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड के दूर दराज के क्षेत्रों से भी अनेक दानवीर आगे आकर सहायता कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री की अपील सुन 80 वर्षीय दर्शनी देवी के मन में भी जरूरतमंदों की सहायता का विचार आया तो पीएम-केयर्स में दान देने के लिए 10 किमी पैदल चलीं. वे अपने गांव से विकास खंड मुख्यालय पैदल पहुंची और और सहायता राशि का ड्राफ्ट बनवाया और प्रसन्न मुख मुद्रा के साथ पीएम-केयर्स में दान कर दिया.
देवभूमि उत्तराखंड देश की रक्षा के लिए समर्पित बलिदानी सैनिकों की भूमि है. पुरुषों के साथ–साथ यहाँ की महिला वीरांगनाएं भी साहस, शौर्य, दिलेरी और दानवीरता में पीछे नहीं हैं. देश में कोरोना संकट के समय भी देवभूमि की महिलाएं चर्चा में हैं. चमोली जिले के गोचर की बुजुर्ग महिला देवकी भंडारी ने जब प्रधानमन्त्री केयर्स फंड में अपने जीवन की गाढ़ी कमाई की संचित पूंजी 10 लाख रुपये दान की तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनकी अद्वितीय दानवीरता की प्रशंसा की.
इसी कड़ी में मातृशक्ति का गौरव बढाने वाली एक और सम्मानित बुजुर्ग महिला दर्शनी देवी रौथान शामिल हुई हैं. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की वसुकेदार तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत डोभा-डडोली की 80 वर्षीय दर्शनी देवी रौथान ने प्रधानमंत्री केयर्स फंड में 2 लाख रुपये दान किये हैं. इनके पति बलिदानी कबोत्र सिंह भारतीय थलसेना में हवलदार थे जो 1965 के भारत–पाकिस्तान युद्ध में देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. उन्होंने परमात्मा में अडिग विश्वास, देशभक्ति भाव और अपने बलिदानी पति की स्मृति का सम्बल लेकर एकाकी जीवन जिया, थोड़ी बहुत पेंशन के साथ संकट और संघर्ष में भी आत्मसम्मान और स्वाभिमान के साथ सबके लिए प्रेरणामूर्ति सिद्ध हुईं.
दानवीरता के साथ ही 80 वर्षीय दर्शनी देवी की शौर्य कथा में देशभक्ति, दृढनिश्चय, साहस और समर्पण भाव का मिश्रण है. पीएम केयर्स फंड में कुछ दान करने का संकल्प जागा तो दर्शनी देवी ने निश्चय किया कि वह गाँव से 10 किलोमीटर दूर अगस्त्यमुनि में स्थित स्टेट बैंक में पैदल चलकर यह पुण्य का कार्य करेंगी.
बैंक पहुंचकर 2 लाख की राशि का पीएम केयर्स फंड का ड्राफ्ट जब दर्शनी देवी ने अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत अगस्त्यमुनि हरेंद्र चौहान को सौंपा तो गदगद अधिकारियों व स्टाफ ने फूलमाला पहनाकर वीरांगना का सम्मान व स्वागत किया.
स्थानीय लोगों के मन में दर्शनी देवी के लिए बहुत सम्मान व आदर का भाव है, केवल डोभा गाँव ही नहीं आसपास के अनेक गाँव तक वे दादी के रूप में चर्चित हैं. धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सदैव दादी दर्शनी देवी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. बच्चों, युवाओं और महिलाओं से दादी दर्शनी देवी का विशेष लगाव है. अपनी कोई संतान नहीं, लेकिन सारा गाँव उनका अपना है.
दर्शनी देवी की देखभाल उनके देवर- देवरानियों द्वारा की जाती है. 35 हजार तक पेंशन पाने वाली दादी सब परिवारजनों को ही सौंपती हैं. पारिवारिक जनों व ग्रामीणों के कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री केयर्स फंड में दान करने की चर्चा के बाद उन्होंने भी मन बनाया और ऐसा अनुकरणीय कृत्य किया जो सबकी आँख खोलने वाला और प्रेरणा देने वाला है. दादी दर्शनी देवी स्वस्थ,शतायु व यशस्वी हों-सूर्य प्रकाश सेमवाल