रुद्रप्रयाग। जिला प्रशासन ने केदारनाथ मंदिर परिसर व मंदिर से 200 मीटर के दायरे में धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक व अपर जिलाधिकारी को आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं, तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जबरन धरना खत्म कराने का प्रयास किया तो वह जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। तीर्थ पुरोहित कपाट खुलने के बाद से ही उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड और केदारनाथ मास्टर प्लान निरस्त करने की मांग को लेकर मंदिर परिसर में धरना दे रहे हैं।
जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग वंदना सिंह ने बताया कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के आदेश पर अपर जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक की ओर से नियुक्त सक्षम पुलिस अधिकारियों की टीम तीर्थ पुरोहितों से वार्ता के लिए भेजी गई है। यह टीम केदारनाथ में धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों को समझाने के साथ ही आंदोलन स्थगित करने के लिए अनुरोध करेगी। यदि धाम में शांति-व्यवस्था भंग होती है तो दोषियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों की देवस्थानम बोर्ड भंग करने संबंधी मांग को नैनीताल हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। जबकि, केदारनाथ मास्टर प्लान के संबंध में तीर्थ पुरोहितों को अवगत करा दिया गया है कि ज्यादातर निर्माण शासकीय भूमि पर किए जाने प्रस्तावित हैं। साथ ही समय-समय पर जो मांगें तीर्थ पुरोहितों की ओर से उठाई जाती हैं, उन पर प्रशासन गंभीरतापूर्वक विचार कर कार्रवाई करता है। कहा कि भविष्य में मास्टर प्लान के तहत होने वाले निर्माण कार्यों पर तीर्थ पुरोहितों से राय लेकर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
उधर, केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला व महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती ने कहा है कि तीर्थ पुरोहित अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं। ऐसे में यदि प्रशासन द्वेषभाव से कार्य करता है तो वह जान देने जैसा कदम उठाने को विवश होंगे। कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी गई है।