रुद्रप्रयाग । भैयादूज पर्व पर आज केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। केदारनाथ धाम के कपाट लग्नानुसार सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सेना की बैंड धुनों के साथ बाबा की पंचमुखी भोगमूर्ति चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान होकर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई। डोली आज पहले पड़ाव पर रामपुर में विश्राम करेगी। 31 अक्तूबर को बाबा की भोगमूर्ति ओंकारेश्वर मंदिर में छह माह की पूजा-अर्चना के लिए विराजमान हो जाएगी।बीकेटीसी द्वारा कपाट बंद करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं।
आज सुबह आठ बजे खरसाली से मां यमुना के भाई शनि महाराज समेश्वर देवता की डोली यमुना जी को विदा कराकर लाने के लिए यमुनोत्री रवाना हुई। दोपहर 12.25 बजे अभिजित मुहूर्त में यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली लाई जाएगी।
यहां विधि विधान एवं अनुष्ठान के साथ यमुना जी की मूर्ति को यमुना मंदिर में स्थापित किया जाएगा। मुख्य पुजारी केदार लिंग द्वारा बाबा के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देकर भष्म से ढक दिया गया। इस मौके पर पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रृंगार करते हुए चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया। परंपरानुसार सुबह 6.30 बजे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति को डोली में विराजमान कर मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया।