अगर मन में कुछ कार्य करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो पहाड़ में ही स्वरोजगार के अनेक अवसर हैं। कोरोना वायरस के बाद देश में लगे लाॅकडाउन के कारण पहाड़ी क्षेत्र के अधिकांश लोग अब स्वरोजगार की राह अपना रहे हैं। ऐसे में लोग स्वयं की आजीविका को मजबूत करने के साथ ही दूसरे लोगों को भी रोजगार के अवसर दे रहे हैं। रुद्रप्रयाग के नारी गांव निवासी राहुल अपने घर में ही एलईडी बल्प बनाकर स्वयं के अलावा गांव के अन्य तीन परिवारों का भी पेट पाल रहे हैं।
कोरोना वायरस और लाॅकडाउन ने लाखों लोगों को बेरोजगार किया है। उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों के अधिकांश युवा रोजगार के लिये शहरी क्षेत्रों का रूख करते हैं, लेकिन लाॅकडाउन के चलते बेरोजगार होने के कारण हजारों युवाओं ने अपने गांवों का रूख किया। लाॅकडाउन में बेरोजगारी झेलने वाले कई लोग आज अपने गांव में ही स्वरोजगार अपनाकर प्रेरणा की मिशाल बने हुये हैं। नारी गांव निवासी राहुल मलवाल ने देश के अनेक हिस्सों में इलेक्ट्रानिक्स का काम किया। कोरोना का असर इन पर भी पड़ा और लॉकडाउन लगने से इनकी भी घर वापसी हो गयी। घर में रहकर विचार आया कि क्यों न यहीं कुछ किया जाये, जिससे घर से दूर न जाना पड़े। इन्होंने घर में ही एलईडी बल्प बनाने का कार्य शुरू कर दिया। साथ में इनकी पत्नी विनीता मलवाल ने भी इनका हाथ बंटाया। जब काम चलने लगा तो गांव की दो महिलाओं मुन्नी देवी व लक्ष्मी देवी को भी रोजगार दिया। साथ में मार्केटिंग का जिम्मा लक्ष्मण सिंह को दिया। राहुल मलवाल द्वारा फिलहाल 5,7,9,12 वाट के बल्प बनाये जा रहे है,ं जिनकी कीमत प्रति बल्प 25 रुपए से 150 रुपये तक है। साथ ही खराब हुए बल्बों को भी रिपेयर किया जाता है।
राहुल मलवाल ने बताया कि लाॅकडाउन के चलते उनका रोजगार चला गया था और वह बेरोजगार होकर गांव आ गये थे। बल्ब बनाने का कार्य पहले से आता था। बाहर से कच्चा सामान मंगवाकर गांव में ही अपने घर पर बल्प बनाने का कार्य शुरू किया। पत्नी ने भी नये कार्य में पूरा साथ दिया। आज बल्ब तैयार होकर मार्केट में बिक रहे हैं। जिससे गांव के तीन अन्य परिवारों को भी रोजगार प्राप्त हो रहा है।