टिहरी झील में जल्द डल झील की तर्ज पर उतरेगा शिकारा

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टिहरी। टिहरी झील को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए सरकार ने एक कदम और बढ़ा दिए हैं। आने वाले समय में गोवा और कश्मीर की डल झील की तर्ज पर टिहरी में भी पर्यटकों की पहली पसंद माने जाने वाली शिकारा, क्रूज शिप, स्कूबा डाइविंग, पैरासेलिंग, फ्लाई बोट की सुविधाएं मिलेगी। टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण (टाडा) ने इन गतिविधियों के संचालन के लिए तैयारियां शुरू करते हुए 31 मार्च तक आवेदन मांगे हैं।

वर्ष 2005 में बनी झील में बमुश्किल 2014 से बोटिंग शुरू हुई थी। वर्तमान में करीब 100 बोटें झील में चल रही हैं, लेकिन अब प्रशासन ने बोटिंग के अलावा अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवाने की दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।

टाडा ने कोटी कॉलोनी के आसपास झील में पर्यटकों के लिए पांच शिकारा, एक स्कूबा डाइविंग, दो पैरासेलिंग, तीन क्रूज शिप, दो फ्लाई बोट चलाने के लिए 31 मार्च तक आवेदन मांगे हैं।  टाडा के एसीईओ रविंद जुवांठा ने बताया कि आवेदन मिलने के बाद अनुभवी व्यक्तियों को लाइसेंस जारी कि जाएंगे।

इसके लिए करीब 60 हजार शुल्क निर्धारित किया गया है। आवेदन के लिए टिहरी बांध प्रभावितों को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि प्रशासन की कोशिश धरातल पर उतरती है, तो आने वाले समय में झील पर्यटकों की पहली पसंद बन सकती है।

गोवा और डल झील जैसे सुविधाएं मिलेगी
गोवा में ही स्कूबा डाइविंग, पैरासेलिंग, क्रूज शिप, फ्लाई बोट और कश्मीर की डल झील में शिकारा की सुविधाएं पर्यटकों को मिलती है। दोनों स्थानों पर पर्यटकों की पहली पसंद भी वही बोटें होती हैं। ऐसे में झील में इनके संचालित होने से स्थानीय लोगों को भी लाभ मिल सकता है। 

अभी तक यह बोटें हो रही संचालित

टिहरी झील में वर्तमान में स्पीड बोट, पावर बोट, जेटस्की, जैट अटैक संचालित की जा रही है, जिनकी संख्या लगभग 100 है। जिन से करीब दो सौ स्थानीय लोगों की आजीविका चल रही है। पर्यटक खासतौर पर गर्मियों में बड़ी संख्या में झील में साहसिक गतिविधियों के लिए पहुंच रहे हैं। 

 

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