नरेंद्रनगर में आज घोषित होगी बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि

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टिहरी। आज वसंत पंचमी के दिन बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाएगी। मां सरस्वती के प्रकटोत्सव का त्योहार वसंत पंचमी आज मंगलवार को मनाया जा रहा है।

इस पर्व पर रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग होने से पर्व का महत्व और अधिक बढ़ रहा है। वसंत पंचमी के अबूझ मुहूर्त को देखते हुए ही प्राचीनकाल से भू-वैकुंठ यानी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि का निर्धारण की परंपरा आज भी कायम है।

पुरातन काल से इस दिन नए साल के पंचांग का पूजन कर टिहरी महाराजा को भेंट किया जाता है। ज्योतिषी पंचांग देखकर आज नरेंद्रनगर में भगवान बदरीविशाल के कपाट खोलने की तिथि निकाली जाती है।

धाम के धर्माधिकारी आचार्य भुवनचंद्र उनियाल और टिहरी राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल का कहना है कि वसंत पंचमी देवी सरस्वती का जन्म दिन होने के कारण बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन की शुभता को देखते हुए ही भगवान बदरीनाथ के कपाट खोलने की तिथि तय की जाती है।
गाडू घड़ा यात्रा नरेंद्रनगर राजदरबार के लिए रवाना
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रियाएं शुरू हो गई हैं। इसके तहत सोमवार को डिम्मर गांव के लक्ष्मी-नारायण मंदिर में गाडू घड़ा की वैदिक मंत्रोचारों के साथ पूजा की गई। धर्माचार्यों ने ब्रह्ममुहूर्त में विष्णु शहस्त्रनाम और नामावलियों से श्री लक्ष्मी नारायण और गाडू घड़ा की पूजा कर भगवान को बाल भोग लगाया।

इसके बाद गाड़ू घड़ा यात्रा नरेंद्रनगर राजदरबार के लिए रवाना हो गई। श्री बदरीनाथ धाम के पुजारियों पंकज डिमरी, नरेश डिमरी, संजय डिमरी, जयंती डिमरी और अंकित डिमरी आदि की अगवानी में गाडू घड़ा के साथ श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर की परिक्रमा की गई और इसके बाद गाड़ू घड़ा यात्रा नरेंद्रनगर राजदरबार के लिए रवाना हो गई।

श्री बदरीश डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के महामंत्री राजेंद्र डिमरी ने कहा कि गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा सोमवार को ऋषिकेश में रात्रि प्रवास किया और मंगलवार को वसंत पंचमी पर्व पर कलश यात्रा नरेंद्रनगर पहुंचेगी।

टिहरी नरेश और महारानी की मौजूदगी में नरेंद्रनगर राजदरबार में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने और महाभिषेक के लिए तिलों का तेल निकालने की तिथि घोषित की जाएगी। इस मौके पर लक्ष्मीनारायण मंदिर के पुजारी मोहन डिमरी, डिम्मर-उमट्टा पंचायत के पूर्व अध्यक्ष शैलेंद्र प्रसाद डिमरी, हेमचंद्र डिमरी, नरेश खंडूड़ी, महंत योगेशानंद महाराज, धर्मेंद्र दास महाराज और पुनीत डिमरी आदि मौजूद थे।

 

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