पथरीली राहों पर स्टेयरिंग थामकर संभाला परिवार, टिहरी की मंजू भंडारी ने पेश की मिसाल

0
223

नई टिहरी: मजबूत इरादे कठिन से कठिन राह को आसान बना देते हैं। इसका बानगी पेश कर रही हैं टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक स्थित जाख गांव की 42-वर्षीय मंजू भंडारी। पिता की मौत के बाद उन्होंने न केवल खुद को संभाला, बल्कि परिवार को संभालने के लिए अल्टो वाहन खरीदकर उसका स्टेयरिंग भी स्वयं थाम लिया। आज वह पहाड़ के चुनौतीभरे रास्तों पर टैक्सी चलाकर परिवार को संभाल रही हैं। अब तो उन्होंने अपने छोटे भाई के लिए भी पिकअप वाहन खरीद लिया है, जिससे वह अपनी आजीविका चला रहा है।

मंजू ने महज 18 साल की उम्र में पिता गंगा सिंह भंडारी को खो दिया था। इसके बाद तीन बहनों और एक भाई के साथ मां लक्ष्मी देवी की जिम्मेदारी भी मंजू के कंधों पर आ पड़ी। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पिता की दुकान संभालने के साथ खेती के कार्य में मां का भी हाथ बंटाया। स्वयं भी उन्होंने गांव में मजदूरी की। वर्ष 2014 में मंजू ने अपनी जमा-पूंजी से एक अल्टो वाहन खरीदा। साथ ही उसे चलाने को कामर्शियल लाइसेंस भी बनवा लिया। मंजू की सोच थी कि वह टैक्सी को यात्री सेवा में लगाकर अच्छी-खासी कमाई कर सकती है। साथ ही भाई के लिए भी रोजगार की व्यवस्था हो जाएगी।

इसके बाद मंजू ने टैक्सी चलानी सीखी और जाख से घनसाली के बीच 22 किमी के क्षेत्र में यात्रियों को ले जाने लगीं। इससे ज्यादा लाभ नहीं मिला तो उन्होंने घनसाली से नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश व श्रीनगर तक के यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे आमदनी बढ़ने लगी तो मंजू ने अपने छोटे भाई सोहन सिंह भंडारी के लिए भी एक पिकअप वाहन खरीद लिया। सोहन अब इस वाहन से अपने परिवार की गुजर कर रहा है।

परिवार की खुशी के लिए खुद नहीं बसाया घर

मंजू बताती हैं कि छोटे भाई को रोजगार दिलाने के मकसद से उन्होंने पहले खुद टैक्सी चलाई। फिर बुकिंग से अच्छी कमाई होने पर भाई के लिए भी वाहन खरीदा। आज वह दोनों ही वाहन चलाकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। बताया कि वह अपनी तीनों बहनों के अलावा भाई सोहन की शादी भी कर चुकी है। हालांकि, परिवार की खुशी के लिए उन्हें खुद शादी नहीं की।

LEAVE A REPLY