नई टिहरी। शिवधाम बूढ़ाकेदार से केदारनाथ के लिए 72 किमी पैदल कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। देश के विभिन्न जगहों से बड़ी संख्या में कांवड़ बूढ़ाकेदार धाम पहुंच रहे हैं। बूढ़ाकेदार मंदिर में जलाभिषेक के बाद यहां से कांवड़िए केदारनाथ के लिए रवाना हो रहे हैं। कांवड़ियों को देखते हुए बूढ़ा केदार धाम शिवमय हो रखा है।
बूढ़ाकेदार में प्रत्येक दिन कांवड़ियों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है स्थानीय निवासी इसमें सहयोग कर रहे हैं। बूढ़ाकेदार से केदारनाथ 72 किमी की पैदल यात्रा वर्षों से चली आ रही है। देश के विभिन्न जगहों से कांवड़िए बूढ़ा केदार पहुंचते हैं और यहां पर बूढ़ा केदार धाम में जलाभिषेक करने के बाद केदारनाथ की पैदल यात्रा पर निकलते हैं।
बसे से बूढ़ाकेदार धाम पहुंच रहे कांवड़िए
एक सप्ताह पूर्व कांवड़ यात्रा शुरू हुई है। बूढ़ाकेदार में प्रतिदिन करीब चार सौ से पांच सौ कावड़िए पहुंच रहे हैं। कांवड़िए बस के माध्यम से बूढ़ाकेदार धाम पहुंच रहे हैं। इसके बाद यहां पर जलाभिषेक व भंडारे में भोजन करने के बाद आगे के लिए रवाना हो रहे हैं। पैदल कांवड़ यात्रा बूढ़ाकेदार विनयखाल, हटकुणी, घुत्तू, पंवाली कांठा, त्रिजुगीनारायण, सोनप्रयाग होते हुए केदारनाथ पहुंचती है।
हर साल बड़ी संख्या में पैदल कांवड़ यात्रा चलती है। इस बार काफी संख्या में कांवड़ यहां पहुंच रहे हैं। सावन माह में पैदल कांवड़ यात्रा के चलते बूढ़ाकेदार मंदिर में भी हर दिन भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है।
शौचालय की सुविधा नहीं होने से होती है परेशानी
प्रधान सनोप राणा, मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र नेगी ने बताया कि यहां पर बूढ़ाकेदार में हर दिन करीब पांच सौ कांवड़िए पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि बूढ़ाकेदार नाथ में बड़ी संख्या में यात्री व श्रावण मास में पैदल कांवड़िए पहुंचते हैं, लेकिन बूढ़ा केदार में शौचालय की सुविधा नहीं होने से परेशानी होती है उन्होंने स्थानीय प्रशासन से यहां पर शौचालय निर्माण की मांग की।
पुराना यात्रा मार्ग था बूढ़ाकेदार
पूर्व में जब वाहन की सुविधा नहीं थी तब बूढ़ाकेदार केदारनाथ का मुख्य पैदल मार्ग था। चारधाम आने वाले यात्री बूढ़ाकेदार पहुंचकर पहले संगम पर स्नान कर बूढ़ाकेदार मंदिर के दर्शन करते थे और उसके बाद यात्रा पर निकलते थे। बताया जाता है कि बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी। बूढ़ाकेदार क्षेत्र के लोग काफी कम केदारनाथ की यात्रा करते हैं क्योंकि बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन से केदारनाथ जैसी पुण्य की प्राप्त होती है।